सहरसा जिले के सदर थाना क्षेत्र अंतर्गत बिहरा मुख्य मार्ग पर शनिवार रात एक बड़ी अग्निकांड की घटना सामने आई, जिससे पूरे इलाके में अफरा-तफरी मच गई। मत्स्यगंधा के समीप स्थित एक फर्नीचर की दुकान में देर रात अचानक आग लग गई, जिससे दुकान में रखे लाखों रुपये मूल्य के फर्नीचर और अन्य सामग्री जलकर राख हो गए। बताया जा रहा है कि आग लगने की वजह बिजली के शॉर्ट सर्किट को माना जा रहा है।
पीड़ित दुकानदार राजकिशोर यादव, जो सहरसा के सपटियाही गांव के निवासी हैं, ने बताया कि उन्होंने इस दुकान को इसी वर्ष जनवरी में शुरू किया था। दुकान का नाम और प्रतिष्ठा धीरे-धीरे बढ़ रही थी और व्यवसाय अच्छा चलने लगा था। प्रतिदिन की तरह शनिवार की शाम भी वे दुकान बंद कर घर चले गए। रात करीब 10 बजे पड़ोसी ने फोन कर सूचना दी कि दुकान में आग लग गई है। जब वे मौके पर पहुंचे, तब तक आग ने विकराल रूप धारण कर लिया था और पूरा दुकान धू-धू कर जल रहा था।

आग लगते ही आसपास के दुकानदारों और स्थानीय लोगों में हड़कंप मच गया। तुरंत इसकी सूचना स्थानीय पुलिस और अग्निशमन विभाग को दी गई। सूचना मिलने के बाद फायर ब्रिगेड की छह गाड़ियां मौके पर पहुंचीं और करीब एक घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया जा सका। हालांकि तब तक बहुत देर हो चुकी थी और दुकान में रखा पूरा फर्नीचर जलकर खाक हो गया।
दुकानदार के अनुसार, आग में 32 दीवान पलंग, 10 साधारण पलंग, 25 प्लाई बोर्ड, 24 सिंगर सेट, 5 सोफा सेट, 30 कुर्सियां, कई टेबल और अन्य लकड़ी से बने महंगे सामान जलकर नष्ट हो गए। अनुमानित नुकसान करीब 25 लाख रुपये से अधिक का बताया जा रहा है।
घटना की गंभीरता को देखते हुए अनुमंडल अग्निशमन पदाधिकारी कन्हाई यादव भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने बताया कि यदि समय रहते कार्रवाई नहीं की जाती, तो आग आसपास की अन्य दुकानों और घरों तक भी फैल सकती थी। फायर ब्रिगेड की त्वरित कार्रवाई से बड़ा हादसा टल गया, लेकिन दुकानदार को हुए नुकसान की भरपाई फिलहाल असंभव नजर आ रही है।
पीड़ित दुकानदार राजकिशोर यादव का कहना है कि यह दुकान उनकी एकमात्र आमदनी का जरिया थी, और इतने बड़े नुकसान के बाद उनका पूरा भविष्य अंधकारमय हो गया है। उन्होंने प्रशासन से अविलंब आर्थिक सहायता और मुआवजे की मांग की है। राजकिशोर यादव का कहना है कि यदि प्रशासन मदद नहीं करता है तो वे रोजगार के इस साधन को दोबारा शुरू नहीं कर पाएंगे।
स्थानीय लोग और व्यापार संघ भी इस घटना को लेकर प्रशासन से राहत की मांग कर रहे हैं। व्यापारियों का कहना है कि शहर में फायर सेफ्टी के पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं और बिजली व्यवस्था भी बेहद जर्जर है, जिससे कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।
फिलहाल पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और आग लगने के सही कारणों की जांच की जा रही है। प्रशासन की ओर से अभी तक किसी प्रकार की मुआवजा राशि की घोषणा नहीं की गई है, लेकिन घटना की जांच के बाद उचित कदम उठाने का आश्वासन दिया गया है।
यह हादसा न केवल एक दुकानदार की मेहनत और सपना जलने की कहानी है, बल्कि सहरसा जैसे शहरों में आगजनी से सुरक्षा और प्रशासनिक तत्परता पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।
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