जेपी आंदोलन की ऐतिहासिक 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर नवगछिया के तेतरी दुर्गा मंदिर प्रांगण में एक भव्य बैठक का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में उत्तर पूर्व बिहार के विभिन्न जिलों से आए सैकड़ों जेपी सेनानियों ने भाग लिया। इस मौके पर आपातकाल के काले दिनों को याद करते हुए सेनानियों ने एकजुटता दिखाई और वर्षों से लंबित मांगों को दोहराया।
इस बैठक की अध्यक्षता जेपी सेनानी प्रदेश उपाध्यक्ष जय प्रकाश महंत ने की, जबकि कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में गोपालपुर के विधायक नरेंद्र कुमार नीरज उर्फ गोपाल मंडल मौजूद रहे। विधायक ने मौके पर पहुंचे करीब ढाई सौ जेपी सेनानियों को अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया और उनके संघर्षों को सलाम किया।
विधायक ने दी मांगों को पूरा कराने की गारंटी
विधायक गोपाल मंडल ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि “मैं शुरू से ही जेपी आंदोलनकारियों के संघर्ष और बलिदान को जानता और मानता रहा हूं। इनका योगदान आजाद भारत के लोकतंत्र की रक्षा में अविस्मरणीय है।” उन्होंने आश्वासन दिया कि जेपी सेनानियों की सभी मांगों को लेकर एक प्रतिनिधिमंडल के साथ वे जिलाधिकारी से मिलेंगे और उसके बाद मुख्यमंत्री से मिलकर विधानसभा में आवाज उठाएंगे। उन्होंने कहा कि “यह सिर्फ वादा नहीं है, बल्कि संकल्प है कि इन सभी मांगों को हर हाल में पूरा कराया जाएगा।”
सेनानियों की प्रमुख मांगें
बैठक में जेपी आंदोलनकारियों ने अपनी कई वर्षों पुरानी मांगों को दोहराया। जिनमें प्रमुख रूप से भूमिगत आंदोलनकारियों को भी सम्मानजनक पेंशन देने, वर्तमान जेपी पेंशन को दुगुना करने, चिकित्सा सुविधा को आसान और सुलभ बनाने की मांग शामिल है। इसके अतिरिक्त, ऐसे आंदोलनकारी जिन्होंने एक से 29 दिनों तक अन्य धाराओं में जेल की सजा काटी है, उन्हें भी पेंशन योजना में शामिल करने की मांग की गई।
कमेटी का गठन, आंदोलन की रणनीति तय
इन मांगों को सरकार तक पहुंचाने और उचित कार्रवाई सुनिश्चित कराने के लिए बैठक में एक विशेष कमेटी का गठन किया गया। इस कमेटी में जय प्रकाश महंत, अशोक यादव, प्रकाश गुप्ता, शंकर रजक और चन्द्र भूषण कुमार को शामिल किया गया है। यह कमेटी संबंधित अधिकारियों और मुख्यमंत्री से मुलाकात कर जेपी सेनानियों की आवाज बुलंद करेगी।
प्रदेश उपाध्यक्ष जय प्रकाश महंत ने कहा, “हमने लोकतंत्र की रक्षा के लिए जेल की सलाखें झेलीं, भूमिगत रहकर आंदोलन को जिंदा रखा और आज भी देशहित के लिए सजग हैं। अब वक्त है कि सरकार हमारी मांगों को गंभीरता से सुने और उचित सम्मान दे।” उन्होंने यह भी कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो पटना जाकर मुख्यमंत्री आवास के समक्ष धरना भी दिया जाएगा।
स्मृतियों में डूबे आंदोलनकारी
बैठक के दौरान कई बुजुर्ग जेपी सेनानियों ने अपने-अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि कैसे आपातकाल के दौरान लोकतंत्र को बचाने के लिए उन्होंने अपने जीवन को दांव पर लगाया। कई आंदोलनकारी भावुक हो उठे जब उन्होंने उन दिनों की यातनाओं और संघर्षों को याद किया।
इस अवसर पर उपस्थित सभी लोगों ने एक स्वर में कहा कि जेपी आंदोलन केवल अतीत की कहानी नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा है। आंदोलनकारियों का यह समर्पण लोकतंत्र के लिए एक जीवंत उदाहरण है, जिसे सरकार को न केवल पहचानना चाहिए, बल्कि उसे उचित सम्मान भी देना चाहिए।
इस ऐतिहासिक अवसर पर आयोजित बैठक न केवल जेपी आंदोलन की याद दिलाने वाला था, बल्कि यह भी साबित करता है कि लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए लड़ी गई लड़ाइयों को भुलाया नहीं जा सकता। जेपी सेनानियों की यह एकजुटता आने वाले दिनों में सरकार को उनकी मांगों पर विचार करने के लिए मजबूर कर सकती है।
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