झारखण्ड राज्य के देवघर नामक स्‍थान में अवस्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है। शिव का एक नाम वैद्यनाथ भी है इस कारण लोग इसे ‘वैद्यनाथ धाम’ भी कहते हैं।

यह एक सिद्धपीठ है। इस कारण इस लिंग को “कामना लिंग” भी कहा जाता हैं। श्रद्धालु यहां भक्ति पूर्ण पूजा अर्चना करते हैं।

कहते हैं यहां पूजा करने के बाद बाबा बासुकीनाथ धाम में पूजा करना काफी महत्वपूर्ण रहता है। नहीं तो पूजा अधूरा माना जाता है।

झारखंड राज्य के दुमका जिले में स्थित वैद्यनाथ मंदिर से करीब 42 किलोमीटर दूरी पर बासुकीनाथ धाम मंदिर बेहद प्रचलित है। यहां सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

मान्यता है कि जब तक बासुकीनाथ धाम में जलाभिषेक नहीं किया जाता तब तक बाबा बैद्यनाथ धाम की पूजा अधूरी रहती है।

बाबा बैद्यनाथ धाम स्थित कामना लिंग पर जलाभिषेक करने आये कांवरिया अपनी पूजा को पूर्ण करने के लिए बासुकीनाथ मंदिर में जलाभिषेक करते हैं।

अजगैबीनाथ धाम से जल लेकर 105 किलोमीटर दूरी तय कर भक्त बाबा का जलाभिषेक करते हैं और अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

आस्था का महा महीना सावन सबसे पवित्र माना जाता है भक्ति और शक्ति के बीच स्वयं भगवान शिव इस महीने मिलते हैं।

आखिर क्यों प्रसिद्ध है बासुकीनाथ धाम:- यह माना जाता है कि वर्तमान दृश्य मंदिर की स्थापना 16वीं शताब्दी के अंतिम वर्षों में हुई।

हिंदुओं के कई ग्रंथों में सागर मंथन का वर्णन किया गया है। जब देवताओं और असुरों ने मिलकर सागर मंथन किया था। बासुकीनाथ मंदिर का इतिहास भी सागर मंथन से जुड़ा हुआ है।

कहा जाता है कि सागर मंथन के दौरान पर्वत को मथने के लिए वासुकी नाग को माध्यम बनाया गया था। इन्हीं वासुकी नाग ने इस स्थान पर भगवान शिव की पूजा अर्चना की थी। यही कारण है कि यहाँ विराजमान भगवान शिव को बासुकीनाथ कहा जाता है।

इसके अलावा मंदिर के विषय में एक स्थानीय मान्यता भी है। प्राचीन समय पहले बासुकी नाम का एक किसान जमीन पर हल चला रहा था।

तब उसके हल के चक्के से पत्थर टकरा गया वहां दूध बहने लगा।

इसे देख बासुकी भागने लगा तभी आकाशवाणी हुई और कहा मैं शिव हूं। तुम भागो नहीं तभी से यहां पूजा होने लगी उसके नाम से यहां का नाम बासुकीनाथ धाम पड़ गया

पुजारी के मुताबिक यहां शिव के नागेश्वर का रूप है। वे बताते हैं यहां पूजा में दूध को विशेष महत्व दिया जाता है। माना जाता है कि भगवान नागेश्वर को दूध अर्पित करने पर वह अपने भक्तों पर प्रसन्न हो जाते हैं और उनकी मुरादें पूरी करते हैं। बासुकीनाथ धाम में पूजा नहीं करने वाले का बैद्यनाथ धाम का पूजा अधूरा माना जाता है। यही कारण है सावन के पवित्र महीने में श्रद्धालु की वहां भीड़ उमड़ती है और बाबा सबकी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *