विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने चेतावनी दी है कि अगली महामारी जीका और डेंगू सहित अन्य कीट जनित रोगाणुओं से हो सकती है। आर्थ्रोपोड-बोर्न वायरस (एर्बोवायरस) जैसे डेंगू, पीला ज्वर, चिकनगुनिया और जीका वायरस वर्तमान में  उष्णकटिबंधीय और उप उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में रहने वाले लगभग 3.9 बिलियन लोगों के लिए एक स्वास्थ्य जोखिम हैं।

इन एर्बोवायरस के प्रकोप की आवृत्ति और परिमाण विशेषकर एडीज मच्छर के जरिये फैलने वाले एर्बोवायरस दुनियाभर में बढ़ रहे हैं।  

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, 130 देशों में डेंगू बुखार सालाना 390 मिलियन लोगों को अपनी चपेट में लेता है। इन देशों में डेंगू का यह बुखार एन्डेमिक (स्थानीय)है। जबकि 2016 में प्रचंड रूप से फैला जीका वायरस, माइक्रोएन्सेफैली जैसे जन्म दोषों का कारण पाया गया था। इसकी मौजूदगी कम से कम 89 देशों में पाई गई थी।

पीला ज्वर 40 देशों में फैलने का उच्च जोखिम रखता है और जांडिस की वजह बनता है और डेंगू की तरह गंभीर रक्तस्रावी बुखार एवं मृत्यु की वजह बनता है। हालांकि, चिकनगुनिया कम जाना जाता है लेकिन यह 115 देशों में मौजूद है और यह गंभीर रूप से अक्षम करने वाले गठिया का कारण बनता है। 

डब्ल्यूएचओ में वैश्विक संक्रामक जोखिम प्रीपेयर्डनेस टीम की निदेशक डॉ.सिल्वी ब्रिआन्दो के हवाले से कहा गया कि हमारे पास 2003 में सार्स का एक संकेत और 2009 में इन्फ्लूएंजा का अनुभव था लेकिन हमारी तैयारी में फिर भी खामियां थीं।

उन्होंने कहा, ‘अगली महामारी नये एर्बोवायरस के कारण जन्म ले सकती है और हमारे पास कुछ संकेत हैं कि खतरा बढ़ रहा है।’ 

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