नई दिल्ली: बीते शुक्रवार को यूपी की राजधानी लखनऊ में योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. इससे कुछ दिन पहले पंजाब में भगवंत मान और उत्तराखंड में पुष्कर सिंद धामी ने भी सीएम पद की शपथ ली. इन सभी नेताओं को राज्य के राज्यपाल ने संविधान के आर्टिकल 164 के तहत मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई. लेकिन आखिर आर्टिकल 164 क्या है, इस आर्टिकल 164 को लेकर कानून क्या कहता है? आइए बताते हैं.

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 164 (Anuched 164) कहता है कि मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाएगी तथा अन्य मंत्रियों की नियुक्ति मुख्यमंत्री की सलाह से राज्यपाल द्वारा की जाएगी. मुख्यमंत्री राज्यपाल के प्रसादपर्यंत अपने पद धारण करेंगे. लेकिन बिहार, मध्य प्रदेश और उड़ीसा राज्यों में जनजातियों के कल्याण का भारसाधक एक मंत्री होगा जो साथ ही अनुसूचित जातियों और पिछड़े वर्गों के कल्याण का या किसी अन्य कार्य का भी भारसाधक हो सकेगा.

अनुच्छेद 164(2) के अनुसार, राज्य मंत्रिपरिषद राज्य की विधान सभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होगा. साथ ही अनुच्छेद 164(3) में कहा गया है, ‘किसी मंत्री द्वारा पद ग्रहण करने से पहले, राज्यपाल तीसरी अनुसूची में इस प्रयोजन के लिये दिए गए प्रारूपों के अनुसार उसको पद और गोपनीयता की शपथ दिलाएगा. नीचे आप देख सकते हैं कि आखिर गोपनीयता की शपथ में मंत्रियों की ओर से क्या कहा जाता है.

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 164 (4) मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति से संबंधित है. अनुच्छेद 164 (4) के तहत अगर किसी को बगैर विधानपरिषद या विधान सभा चुनाव जीते मंत्री अथवा मुख्यमंत्री बना दिया जाए तो 6 महीने के अंदर उसके लिए विधान सभा या विधान परिषद चुनाव जीतना अनिवार्य है. अगर वो ऐसा नहीं कर पाता है तो 6 महीने बाद  उसका कार्यकाल स्वत: ही समाप्त हो जाता है, और उसे पद से त्यागपत्र देना पड़ता है. 

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