बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष संशोधन को लेकर राजनीतिक घमासान शुरू हो गया है। जन सुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर ने चुनाव आयोग के इस फैसले पर तीखा सवाल खड़ा किया है। उन्होंने मतदाता सूची में व्यापक बदलाव को लेकर राज्य की एनडीए सरकार और चुनाव आयोग की मंशा पर ही सवाल उठाए हैं।

प्रशांत किशोर ने कहा कि ठीक एक साल पहले ही लोकसभा चुनाव हुए थे और उसी समय चुनाव आयोग ने मतदाता सूची तैयार की थी। ऐसे में अब विधानसभा चुनाव से पहले अचानक मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर संशोधन की क्या आवश्यकता पड़ गई? किशोर ने कहा, **”2024 में चुनाव आयोग ने खुद प्रधानमंत्री के चुनाव के लिए यह मतदाता सूची बनाई थी, तब वह सही थी। अब अगर उसे बदलने की जरूरत महसूस हो रही है, तो क्या यह माना जाए कि एनडीए सरकार के कार्यकाल में घुसपैठिए बिहार में घुस आए हैं?”**
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी मांग केवल इतनी है कि लोकसभा चुनाव में उपयोग की गई मतदाता सूची को ही आगामी विधानसभा चुनाव में भी अपनाया जाए। किशोर ने कहा, **”एक साल में क्या पूरी मतदाता सूची बदल देने की जरूरत आ गई? अगर बदलाव जरूरी है, तो क्या सरकार यह स्वीकार कर रही है कि इस दौरान बिहार में अवैध तरीके से लोग बस गए?”**
चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची में संशोधन की प्रक्रिया को अनुच्छेद 326 के तहत उचित ठहराने पर भी प्रशांत किशोर ने कड़ा ऐतराज जताया। उन्होंने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 326 स्पष्ट रूप से 18 वर्ष से अधिक उम्र के हर भारतीय नागरिक को मतदान का अधिकार देता है और चुनाव आयोग को नागरिकता की जांच करने का कोई अधिकार नहीं है।
**”यह मत देने का अधिकार है, न कि नागरिकता साबित करने का साधन। चुनाव आयोग अगर किसी व्यक्ति को मतदाता सूची से बाहर करता है, तो वह व्यक्ति के संवैधानिक अधिकारों का हनन करता है। सुप्रीम कोर्ट भी कह चुका है कि चुनाव आयोग नागरिकता का निर्धारण नहीं कर सकता,”** किशोर ने दोटूक कहा।
प्रशांत किशोर ने मतदाता सूची को लेकर उठाए जा रहे सवालों को जनता की आवाज बताया और चेतावनी दी कि अगर मतदाता सूची में व्यापक बदलाव कर लोगों को मतदान के अधिकार से वंचित करने की कोशिश की गई, तो जन सुराज आंदोलन सड़क पर उतरकर इसका विरोध करेगा।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में चुनाव आयोग की निष्पक्षता सबसे अहम है और अगर उस पर भी संदेह उत्पन्न होने लगे, तो देश के लोकतांत्रिक ढांचे पर खतरा मंडराने लगता है। प्रशांत किशोर ने जनता से अपील की कि वे अपने मताधिकार की रक्षा के लिए जागरूक रहें और जरूरत पड़े तो लोकतांत्रिक तरीके से विरोध भी दर्ज कराएं।
फिलहाल इस बयान ने बिहार की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है, और आगामी चुनावों से पहले मतदाता सूची एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनता नजर आ रहा है।
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