हम दुनिया की छठी सबसे बड़ी इकॉनामी बन गए हैं। खुशी की बात है, लेकिन हमारी आर्थिक नीतियां अभी भी दोयम दर्जे की हैं। इसलिए कि इसके लाभ और नुकसान में जमीन-आसमान का फर्क है। फर्क जो साफ दिखता है। यूनाइटेड नेशन्स की रिपोर्ट के अनुसार हमारे देश में रईसों के बढ़ने की रफ्तार अमेरिका और ब्रिटेन से भी ज्यादा है। कोरोनाकाल में भारत में ऐसे अमीर जिनकी संपत्ति दो सौ करोड़ से भी ज्यादा हो, उनकी संख्या में 11% की बढ़ोतरी हुई। यानी दो सौ करोड़ से ज्यादा संपत्ति वाले लोग बढ़कर 13,637 हो गए। इनमें से तीस से ज्यादा अमीरों की संपत्ति तो दोगुनी हो गई। दूसरी ओर, कड़वा सच यह भी है कि आम भारतीय की संपत्ति सात प्रतिशत तक घट गई।
यही नहीं, इसी रिपोर्ट में एक और सच यह बताया गया है कि दूध, सब्जी और दाल के उत्पादन में हम दुनियाभर में अव्वल हैं, फिर भी देश के 22 करोड़ लोग या तो कुपोषित हैं या उन्हें एक ही वक्त का खाना मिल पाता है। वे लगभग रोज भूखे सोने पर विवश हैं। यह कैसी बढ़ती इकॉनामी है? यह कैसी अर्थव्यवस्था है जिसमें अमीर लगातार अमीर और गरीब लगातार गरीब होता जा रहा है। खाई बढ़ती ही जा रही है। गड्ढे को पूरने का काम न तो कोई कर रहा है, न करना चाहता है।
सरकार की होशियारी देखिए कि हम अपनी अर्थ व्यवस्था को तो दुनिया में अव्वल बताने में कोई कसर नहीं छोड़ते, लेकिन पौष्टिकता की तुलना करने की बात आती है तो पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, भूटान, ईरान, मालदीव और नेपाल जैसे देशों को सामने खड़ा कर लेते हैं। यानी बड़े-बड़े बोल बोलिए और बेहतरी की तुलना करनी हो तो सबसे गरीब और छोटे देशों से करो, ताकि अच्छे दिखते रहें। अव्वल दिखते रहें।
यही नहीं, गरीबी और भुखमरी मिटाने की हमारी रफ्तार तमाम विकसित देशों से धीमी है, लेकिन हम इसकी तुलना में भी बांग्लादेश, पाकिस्तान, ईरान और अफगानिस्तान को सामने खड़ा कर लेते हैं, इसलिए अव्वल कहलाते हैं!
दुनिया में बढ़ी भूखे लोगों की संख्या
रिपोर्ट में कहा गया कि दुनियाभर में भूख से प्रभावित लोगों की संख्या 2021 में बढ़कर 82.8 करोड़ हो गई। रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में 2004-06 के दौरान अल्पपोषित लोगों की संख्या 24.78 करोड़ थी जो घटकर 2019-2021 के दौरान 22 करोड़ 43 लाख रह गई। रिपोर्ट में कहा गया कि पांच साल से कम उम्र के जिन बच्चों का विकास रुक गया है उनकी संख्या 2012 में पांच करोड़ 23 लाख थी जो 2020 में घटकर तीन करोड़ 61 लाख रह गई।