सृजन घोटाला उजागर होने के बाद से अमित कुमार और रजनी प्रिया गायब हैं। सात अगस्त 2017 को सरकारी खातों से अवैध निकासी के मामले को लेकर पहली प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी।

पहली प्राथमिकी जिला नजारत शाखा के तत्कालीन सहायक नाजिर अमरेन्द्र कुमार यादव द्वारा 27.96 करोड़ रुपये अवैध निकासी को लेकर दर्ज करायी गयी थी। इसके बाद अन्य कार्यालयों में जांच के साथ ही घोटाला का सिलसिला बढ़ता गया।

रजनी के खिलाफ 23 मामले में सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल की है। इससे पहले वह कई मुकदमों में फरार घोषित की जा चुकी है।

सृजन महिला विकास सहयोग समिति की सचिव होने के नाते रजनी तमाम प्राथमिकी में आरोपी बनाई गई है। सीबीआई के अलावा ईडी ने भी उनके खिलाफ पांच मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में मुकदमा किया है।

सीबीआई ने रजनी की भागलपुर व नोएडा के गार्डेनिया की तमाम संपत्तियां जब्त की हैं। इसके अलावा करीब 26 बैंक खाते, लॉकर आदि भी सील किया है।

सूत्रों की मानें तो रजनी के पति अमित कुमार की मौत हो चुकी है। इसके बाद से ही रजनी कमजोर पड़ी और अंतत पकड़ी गई।

अमित की मौत की जानकारी रजनी ने पूछताछ में सीबीआई को दी है। हालांकि सीबीआई इस जानकारी की तहकीकात में जुटी है। मौत की पुष्टि होने के बाद ही कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल करेगी।

सीबीआई कोर्ट से आधे मामले में फरार घोषित

सृजन घोटाले में चार्जशीट दाखिल होने के बाद भी रजनी प्रिया और उनके पति अमित कुमार की गिरफ्तारी नहीं हो पाने पर सीबीआई कोर्ट ने आधे से ज्यादा मुकदमे में भगोड़ा घोषित किया हुआ है।

अमित कुमार और रजनी प्रिया पर लुक कॉर्नर तक जारी किया गया, ताकि दोनों विदेश न भाग सकें। दोनों की तस्वीर देश के सभी हवाईअड्डों और अंतरराष्ट्रीय बस स्टैंडों पर चस्पां किए। ताकि कहीं से भी दोनों की भनक एजेंसी को लगे और गिरफ्तार किया जा सके।

घोटाला उजागर होने के बाद से सृजन का कार्यालय बंद

सृजन घोटाला उजागर होने के बाद से सृजन महिला विकास सहयोग समिति लि.सबौर का कार्यालय बंद है। घोटाला उजागर होने के बाद जांच एजेंसियों से सील कर कागजातों की जांच की।

प्रबंधकारिणी को भी तत्काल भंग कर दिया गया था। प्रबंधकारिणी के पदाधिकारियों की विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गयी। उसमें से कई वर्तमान में जेल में बंद है।

सृजन महिला विकास सहयोग समिति लि.बंद होने के बाद कोई काम नहीं हो रहा है। हजारों जमाकर्ताओं को राशि नहीं मिल पायी है।

सहकारिता विभाग द्वारा ऑडिट कराया जा रहा है। कई साल बाद भी ऑडिट का काम पूरा नहीं हो सका है।

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