सहरसा जिले के नवहट्टा थाना क्षेत्र में सोमवार की रात ज़मीन विवाद ने उग्र रूप ले लिया, जब दो पक्षों के बीच हिंसक झड़प हो गई। इस झगड़े में एक पक्ष के चार लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं, जिनमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। घायलों की पहचान बेचन रखो (45), मुख्तार बाखो (60), जाहिरा खातून (50), और रुखसाना (30) के रूप में की गई है। फिलहाल सभी घायलों का इलाज सहरसा सदर अस्पताल में चल रहा है, जहां कुछ की हालत नाजुक बताई जा रही है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, विवाद की जड़ एक 8 डिसमिल की ज़मीन है, जिसे लेकर दोनों पक्षों में पिछले तीन महीनों से तनातनी चल रही थी। सोमवार को विवादित ज़मीन की नापी होनी थी, लेकिन वह किसी कारणवश टल गई। इस टालमटोल के चलते दोनों पक्षों में तनाव और बढ़ गया और शाम होते-होते मामला हाथापाई और फिर हिंसक झड़प में तब्दील हो गया।
बताया जा रहा है कि रात में फारमान पक्ष के लोगों ने अचानक हमला बोल दिया। आरोप है कि उन्होंने लाठी-डंडों से मुख्तार बाखो के पूरे परिवार पर धावा बोल दिया। इस हमले में मुख्तार की पत्नी जाहिरा और बेटी रुखसाना को भी बेरहमी से पीटा गया। मुख्तार के बेटे को सिर में गंभीर चोटें आई हैं और वह फिलहाल डॉक्टरों की निगरानी में है।
घायल बेचन रखो ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए बताया कि जब वे खून से लथपथ हालत में नवहट्टा थाना पहुंचे, तो पुलिस ने उनकी बात सुनने के बजाय उन्हें भगा दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस की यह उदासीनता पीड़ितों के लिए और बड़ी मुसीबत बन गई क्योंकि हमलावर पक्ष को किसी का डर नहीं था।
उधर, हिंसा की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और हालात को नियंत्रित करने के लिए हल्का बल प्रयोग किया। थानाध्यक्ष ज्ञानरंजन ने कहा कि दोनों पक्षों के लोग घायल हैं और पुलिस निष्पक्षता के साथ मामले की जांच कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इस बीच, सहरसा के एसडीपीओ आलोक कुमार ने भी घटनास्थल का दौरा किया और लोगों को निष्पक्ष जांच का भरोसा दिलाया। उन्होंने कहा कि इलाके में शांति बनाए रखना प्राथमिकता है और जो भी कानून को हाथ में लेगा, उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

घटना के बाद पूरे नवहट्टा इलाके में तनाव का माहौल है। ग्रामीणों में डर और आक्रोश दोनों व्याप्त हैं। खासकर महिलाओं पर हुए हमले ने लोगों को झकझोर कर रख दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि ऐसे मामलों में पुलिस की लापरवाही से अपराधियों के हौसले बुलंद होते हैं और पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पाता।
इलाके के कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी इस घटना की निंदा करते हुए प्रशासन से मांग की है कि पीड़ित परिवार को सुरक्षा मुहैया कराई जाए और हमलावरों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस को ऐसे मामलों में संवेदनशीलता दिखानी चाहिए, न कि पीड़ितों को थाने से भगाना।
इस घटना ने एक बार फिर ज़मीन विवादों को लेकर बिहार के ग्रामीण इलाकों में कानून व्यवस्था की चुनौती को सामने ला दिया है। जहां छोटी-छोटी बातों पर बड़े-बड़े झगड़े हो जाते हैं और आम जनता को जान-माल का नुकसान झेलना पड़ता है। ज़रूरत इस बात की है कि प्रशासन ऐसे विवादों का समय रहते समाधान करे, ताकि भविष्य में ऐसी हिंसक घटनाओं को टाला जा सके।
फिलहाल पुलिस की जांच जारी है और दोनों पक्षों से बयान दर्ज किए जा रहे हैं। स्थानीय प्रशासन ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है।
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