राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक भव्य समारोह में देश के वीर सैनिकों को वीरता पुरस्कारों से सम्मानित किया। इस अवसर पर 6 कीर्ति चक्र और 33 शौर्य चक्र प्रदान किए गए। इन्हीं सम्मानित वीरों में एक नाम है बिहार के दरभंगा जिले के रहने वाले विक्रांत कुमार का, जिन्हें अद्भुत साहस और अनुकरणीय कर्तव्यनिष्ठा के लिए शौर्य चक्र से नवाजा गया। यह पुरस्कार न केवल विक्रांत और उनके परिवार के लिए, बल्कि पूरे मिथिलांचल और बिहार के लिए गौरव का क्षण है।
दरभंगा के लाल का सम्मान
विक्रांत कुमार दरभंगा जिले के बहादुरपुर प्रखंड के योगीयारा गांव के निवासी हैं। वे वर्तमान में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) में डिप्टी कमांडेंट के पद पर कार्यरत हैं। विक्रांत को यह सम्मान झारखंड के चतरा जिले में नक्सलियों के खिलाफ किए गए एक साहसिक अभियान के लिए दिया गया है। यह अभियान 2 अप्रैल 2023 को चलाया गया था, जिसमें विक्रांत को आईईडी क्लीयरेंस की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। अत्यंत खतरनाक परिस्थिति में विक्रांत ने न केवल विस्फोटकों से रास्ता साफ किया, बल्कि अपनी टीम के साथ मिलकर नक्सलियों के अड्डे तक पहुँचकर पांच नक्सलियों को ढेर कर दिया। कई नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया और एक घायल नक्सली नेता को गिरफ्तार भी किया गया। इस कार्रवाई के दौरान आधुनिक हथियार भी बरामद किए गए, जिससे इस अभियान की सफलता और अधिक महत्वपूर्ण बन गई।
परिवार और गांव में उत्साह
विक्रांत के छोटे भाई निशांत ने बताया कि जैसे ही उन्हें अपने भाई के शौर्य चक्र से सम्मानित होने की खबर मिली, पूरे गांव में उत्सव का माहौल बन गया। उन्होंने कहा, “पूरे परिवार को गर्व है। राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित होना बहुत बड़ी बात है। गांव के युवाओं में जबरदस्त उत्साह है। वे भैया से प्रेरणा ले रहे हैं और अब देश सेवा में आगे आना चाहते हैं।” यह सम्मान न केवल एक व्यक्ति की उपलब्धि है, बल्कि उस गांव की भी पहचान बन गया है, जहां से विक्रांत जैसे जांबाज़ सपूत ने जन्म लिया।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया
विक्रांत को मिले सम्मान पर बिहार के समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी ने भी गर्व प्रकट किया। उन्होंने कहा, “यह गर्व की बात है कि मेरे ही विधानसभा क्षेत्र के योगीयारा गांव के विक्रांत कुमार को राष्ट्रपति के हाथों शौर्य चक्र मिला है। जब वे गांव लौटेंगे, तब मैं खुद जाकर उन्हें सम्मानित करूंगा।” यह वक्तव्य दर्शाता है कि विक्रांत की वीरता ने राजनीतिक सीमाओं से ऊपर उठकर एक समाजिक प्रेरणा का रूप ले लिया है।
गांव के एक वरिष्ठ नागरिक सुदिष्ट नारायण झा ने भी कहा, “हमारे गांव और समाज के लिए यह गर्व का विषय है। विक्रांत से नवयुवकों को प्रेरणा मिल रही है। सभी देश सेवा की भावना से ओतप्रोत हो रहे हैं।”
शौर्य चक्र: वीरता का प्रतीक
शौर्य चक्र भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला एक सैन्य वीरता पुरस्कार है, जो शांति काल में असाधारण साहस, वीरता और बलिदान के लिए दिया जाता है। यह भारत का तीसरा सर्वोच्च शांति कालीन वीरता पुरस्कार है। इससे ऊपर अशोक चक्र और कीर्ति चक्र आते हैं। शौर्य चक्र को थल सेना, वायु सेना, जल सेना के सैनिकों के साथ-साथ पुलिसकर्मियों और आम नागरिकों को भी प्रदान किया जा सकता है। यह पुरस्कार मरणोपरांत भी प्रदान किया जा सकता है, जिससे यह और भी अधिक सम्मानजनक बन जाता है।
निष्कर्ष
विक्रांत कुमार को शौर्य चक्र से सम्मानित किया जाना न केवल उनके साहस और कर्तव्यनिष्ठा का प्रतीक है, बल्कि यह पूरे बिहार, विशेष रूप से मिथिलांचल के लिए गौरव का विषय है। यह सम्मान यह दिखाता है कि देश की रक्षा में समर्पित हमारे वीर सैनिक किसी भी खतरे से पीछे नहीं हटते। विक्रांत की यह उपलब्धि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्त्रोत बनी रहेगी और देश सेवा की भावना को और भी प्रबल करेगी।