कुशवाहा ने कहा कि कॉलेजियम सिस्टम के तहत जजों की बहाली पर रोक लगनी चाहिए। आज तक देश में सिर्फ 100 परिवारों के बीच से ही लोग जज बनते रहे हैं। जजों की बहाली के लिए प्रतियोगी परीक्षा का आयोजन होना चाहिए।

केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू के बाद अब जेडीयू ने भी कॉलेजियम सिस्टम के तहत जजों की नियुक्ति पर सवाल उठाए हैं। जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि कॉलेजियम सिस्टम के तहत जजों की बहाली पर रोक लगाई जाए। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति प्रतियोगी परीक्षा के तहत होनी चाहिए। ताकि गरीब से गरीब घर का बच्चा भी उच्चतम न्यायालय का जज बन सके।

जेडीयू के तत्वावधान में अरवल के इनडोर स्टेडियम में गुरुवार को सद्भावना बचाओ- देश बचाओ सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस मौके पर जेडीयू संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि बीजेपी देश में सांप्रदायिक उन्माद पैदा कर सामाजिक सद्भाव को बिगाड़ने की कोशिश कर रही है। अल्पसंख्यक समुदायों को निशाना बनाया जा रहा है। इससे सचेत रहने की आवश्यकता है।

कुशवाहा ने कहा कि कॉलेजियम सिस्टम के तहत जजों की बहाली पर रोक लगनी चाहिए। आज तक देश में सिर्फ 100 परिवारों के बीच से ही लोग जज बनते रहे हैं। जजों की बहाली के लिए प्रतियोगिता परीक्षा का आयोजन होना चाहिए और उसी के तहत जजों की नियुक्ति उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों में होनी चाहिए। ताकि गरीब परिवार के बच्चे को भी प्रतियोगिता के माध्यम से हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जज बनने का अवसर मिले। तभी गरीबों को न्याय मिल सकता है। 

कानून मंत्री ने भी कॉलेजियम सिस्टम को गलत बताया

इससे पहले केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने एक कार्यक्रम में कहा था कि कॉलेजियम सिस्टम के तहत जजों की नियुक्ति गलत है। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में जज नियुक्त करने का काम सरकार का है। जनता कॉलेजियम सिस्टम से खुश नहीं है। भारत को छोड़कर दुनिया में कहीं भी यह प्रथा नहीं है कि न्यायाधीश खुद न्यायाधीशों नियुक्त करते हों। 

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