आज जहां देश में सांप्रदायिक कट्टरता और आपसी भेदभाव की अक्सर खबरें आती हैं. वहीं, बिहार (Bihar) में सामाजिक सदभाव और आपसी भाईचारे का बड़ा उदाहरण सामने आया है. पूर्वी चंपारण जिले के कैथवलिया में दुनिया के सबसे बड़े रामायण मंदिर के निर्माण के लिए यहां के एक मुस्लिम परिवार ने अपनी 23 कट्ठा जमीन दान में दी है. इश्तेयाक अहमद खान के परिवार ने रामायण मंदिर के निर्माण के लिए ढाई करोड़ रूपये से ज्यादा मूल्य की 23 कट्ठा (71 डिसिमिल) जमीन ट्रस्ट को दान करते हुए केसरिया निबंधन कार्यालय में निबंधन कराया है.

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पटना महावीर मंदिर के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि रामायण मंदिर निर्माण में मुस्लिम परिवार की सबसे बड़ी भूमिका है. अगर उन्होंने जमीन दान में नहीं दिया होता तो मंदिर का निर्माण संभव नहीं होता. उन्होंने कहा कि विराट रामायण मंदिर के निर्माण के लिए जमीन देने की शुरुआत इसी मुस्लिम परिवार ने की थी. साथ ही दूसरे लोगों से जमीन खरीद के लिए जमीन की कीमत को भी उन्होंने आपसी सहमति से काफी कम करवाया था.

रामायण मंदिर के निर्माण में जमीन दान में देने वाले इश्तेयाक अहमद खान का परिवार जमींदार घराने से ताल्लुक रखता है. इश्तेयाक अहमद असम के गुवाहाटी में व्यवसाय करते हैं. इश्तेयाक अहमद ने कहा कि हमारे गांव में दुनिया के सबसे बड़े मंदिर का निर्माण हो रहा है. इसलिए अगर हम साथ नही देंगे तो कौन साथ देगा. आज कुछ लोग हिन्दू-मुस्लिम को बांटने में लगे हुए हैं पर सभी लोगों के बीच प्रेम बना हुआ है. सभी लोग साथ मिलकर रहेंगे तो कोई भी हममें फूट नहीं डाल सकता.

इस भव्य विराट रामायण मंदिर की ऊंचाई 270 फीट होगी जो हिंदू मंदिर के दृष्टिकोण से विश्व में सर्वाधिक है. इसकी लंबाई 1080 फीट और चौड़ाई 540 फीट है. मंदिर परिसर के तीन तरफ सड़क है. अयोध्या से जनकपुर तक बन रहा राम-जानकी मार्ग इस विराट रामायण मंदिर से होकर गुजरेगा. इसी मार्ग पर केसरिया बौद्ध स्तूप भी अवस्थित है.

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पूर्वी चंपारण के कैथवलिया में बनने वाले विराट रामायण मंदिर में दुनिया के सबसे बड़े शिवलिंग की बाजी स्थापना की जाएगी. आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि 33 फीट ऊंचा और 33 फीट व्यास के आकार के शिवलिंग का निर्माण किया जा रहा है. ब्लैक ग्रेनाइट से निर्माण कराया जा रहा यह शिवलिंग दुनिया की सबसे बड़ी शिवलिंग होगी. इस पर जलाभिषेक के लिए लिफ्ट का भी निर्माण कराया जाएगा.

मान्यता है कि जनकपुर से अयोध्या लौटने के क्रम में भगवान राम की बारात देवकी नदी के तट पर जिस स्थान पर एक रात्रि रुकी थी, वहीं इस विराट रामायण मंदिर का निर्माण हो रहा है. अभी यह नदी विराट रामायण मंदिर स्थल से पश्चिम बहती है.

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