बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण की वोटिंग में अब कुछ ही घंटे बचे हैं। लेकिन मतदान से पहले ही कई सीटें राजनीतिक हलचल का केंद्र बनी हुई हैं। विशेषकर दरभंगा जिले की गौरा बौराम विधानसभा सीट, जहां अल्पसंख्यक समुदाय की नाराज़गी ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को बैकफुट पर आने के लिए मजबूर कर दिया। इस घटनाक्रम ने न सिर्फ गठबंधन के भीतर तनाव बढ़ाया, बल्कि वीआईपी अध्यक्ष मुकेश सहनी को भी बड़ा झटका दिया है।
राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार का मानना है कि गौरा बौराम में अल्पसंख्यक समाज की नाराज़गी आरजेडी के लिए गंभीर खतरा बनती जा रही थी। उन्होंने कहा—
“अल्पसंख्यक वोट कई सीटों पर आरजेडी के लिए निर्णायक हैं। गौरा बौराम में इनकी नाराज़गी तेजस्वी यादव को भारी पड़ सकती थी। इसी वजह से वीआईपी उम्मीदवार को मैदान से हटाने का दबाव बनाया गया। अब सहनी समुदाय में नाराज़गी बढ़ने की संभावना है। यह मुकाबला अल्पसंख्यक बनाम सहनी में बदल सकता है, जो तेजस्वी के लिए बड़ी चुनौती है।”
अफजल अली खान की उम्मीदवारी पर पलटी आरजेडी
इस सीट पर पहले राष्ट्रीय जनता दल ने अफजल अली खान को उम्मीदवार बनाया था, जबकि वीआईपी ने मुकेश सहनी के भाई संतोष सहनी को टिकट दिया था। आरजेडी ने अफजल अली खान पर दबाव बनाया कि वे नाम वापस ले लें, ताकि महागठबंधन में सीट वीआईपी के पास जाए। लेकिन अफजल ने इनकार कर दिया।
इसके बाद आरजेडी ने 3 नवंबर को पत्र जारी कर अफजल अली खान को “पार्टी विरोधी गतिविधि” के आरोप में 6 साल के लिए निष्काषित कर दिया। इसी निर्णय पर दरभंगा के अल्पसंख्यक नेताओं में भारी रोष फैल गया, जिससे तेजस्वी यादव पर दबाव बढ़ गया।
जानकारों का कहना है कि स्थानीय अल्पसंख्यक समाज, खासकर पूर्व सांसद अली अशरफ फातमी के समर्थकों ने स्पष्ट कहा कि तेजस्वी यादव के इस निर्णय से वे वोट नहीं करेंगे।
स्थिति बिगड़ते देख, तेजस्वी यादव को 24 घंटे के भीतर फैसला पलटना पड़ा, और चुनाव से पहले नई सूची जारी कर अफजल अली खान को वापस महागठबंधन का अधिकृत उम्मीदवार घोषित कर दिया गया।
मुकेश सहनी को बड़ा झटका, VIP बैकफुट पर
यह पूरा घटनाक्रम वीआईपी अध्यक्ष मुकेश सहनी के लिए बड़ा झटका है। तेजस्वी यादव भले ही सहनी को बार-बार “उपमुख्यमंत्री फेस” बता रहे हों, लेकिन उनकी पार्टी की सीटें और राजनीतिक ताकत लगातार कमजोर होती दिखाई दे रही है।
महागठबंधन में VIP की 15 सीटें तय थीं, लेकिन हालात लगातार इसके उलट जा रहे हैं—
सुगौली और कुशेश्वरस्थान में VIP उम्मीदवारों का नामांकन रद्द
तारापुर में VIP उम्मीदवार बीजेपी में शामिल
चैनपुर में आरजेडी ने VIP के सामने अपना कैंडिडेट उतारा
गौरा बौराम में संतोष सहनी को उम्मीदवारी वापस लेनी पड़ी
यानी अब वीआईपी लगभग 10 सीटों पर सिमट गई है।
गौरा बौराम: चुनाव से ठीक पहले ड्रामाई उलटफेर
तेजस्वी यादव इस सीट पर किसी भी कीमत पर अल्पसंख्यक वोटों को नाराज़ नहीं करना चाहते थे, क्योंकि यह जातिगत समीकरण के हिसाब से बेहद महत्वपूर्ण और संवेदनशील सीट है। इसी कारण आरजेडी ने अपना पहले किया निर्णय वापस लिया और VIP को यहां से हटना पड़ा।
इससे साफ है कि:
गठबंधन में अल्पसंख्यक मतदाता अभी भी निर्णायक शक्ति हैं
तेजस्वी यादव चुनाव से पहले किसी भी जोखिम को लेने के मूड में नहीं
मुकेश सहनी की राजनीतिक स्थिति कमजोर हो रही है
सहनी बनाम मुस्लिम वोटरों का टकराव तेजस्वी की रणनीति पर भारी पड़ रहा है
निष्कर्ष
गौरा बौराम सीट पर चुनाव से ठीक पहले हुए इस “सियासी भूकंप” ने न सिर्फ महागठबंधन की अंदरूनी खींचतान को उजागर किया है, बल्कि यह भी दिखा दिया कि बिहार की राजनीति में अल्पसंख्यक वोट बैंक आज भी सबसे निर्णायक फैक्टर है।
पहले चरण से कुछ घंटे पहले इस हाई वोल्टेज घटनाक्रम ने चुनावी माहौल को और भी गरमा दिया है।
