भागलपुर में बकरी का बच्चा (मेमना) कुएं में गिर गया। इसका रेस्क्यू करने कुएं में उतरे दो युवकों की मौत हो गई। दोनों को कुएं से निकालकर अस्पताल ले जाया गया। यहां आक्रोशितों ने प्रभारी चिकित्सा प्रभारी से धक्का-मुक्की कर दी।

भागलपुर: शाहकुंड पश्चिम मोहल्ला स्थित अली हसन के कुआं में बकरी का बच्चा (मेमना) सुबह 9:30 में गिर गया था, जिसे निकालने के लिए शाहकुंड पश्चिम मोहल्ला के ही 35 वर्षीय युवक मु, सरफराज उर्फ सोनू एवं 26 वर्षीय युवक मु, सद्दाम बकरी का बच्चा निकालने के लिए कुआं में घुसे। लेकिन काफी देर तक जब दोनों युवक कुएं से बाहर नहीं आए तो लोगों की चिंता बढ़ने लगी। ग्रामीणों ने इसकी सूचना बीडीओ अभिनव भारती, सीओ निलेश कुमार चौरसिया, एवं शाहकुंड थानाअध्यक्ष पंकज कुमार झा को दी। सूचना मिलतेही बीडीओ अभिनव भारती थानाध्यक्ष के साथ घटनास्थल पर पहुंचे।

काफी प्रयास के बाद भी जब युवक को कुएं से बाहर नहीं निकाला जा सका तो बीडीओ ने इसकी सूचना एनडीआरएफ टीम को दी। इसी बीच ग्रामीणों ने पुणः दोनों युवक की खोजबीन के लिए गांव के ही युवक मु, निहाल को रस्सी से बांधकर कुएं में उतारने लगा। लेकिन आधे रास्ते में ही मु, निहाल ने ग्रामीणों को कहा कि अंदर से काफी बदबूदार गंदा आ रहा है। मेरा भी दम घुटने लगा है। इसलिए मुझे बाहर निकालिए। ग्रामीणों ने तुरंत रस्सी के सहारे मु, निहाल को बाहर निकाला। वहीं ग्रामीणों की काफी मशक्कत के बाद कुएं में घुसे युवक मु, सरफराज एवं मु, सद्दाम को बाहर निकाला

इसी बीच बीडीओ ने तुरंत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ जयप्रकाश सिंह को घटनास्थल पर एंबुलेंस भेजने को कहा। सूचना मिलते ही प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने घटनास्थल पर ऑक्सीजन युक्त एंबुलेंस भेजा। आनन-फानन में दोनों युवकों को ग्रामीणों ने चिकित्सीय इलाज हेतु सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया। जहां प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ जयप्रकाश सिंह ने दोनों युवकों को मृत घोषित कर दिया। इस पर ग्रामीण आक्रोशित हो गए ग्रामीणों ने कहा कि नहीं दोनों युवक की सांसे चल रही है। दोनों युवक अभी जिंदा है। इसके बाद ड्यूटी पर तैनात डॉ सुमित वर्मा को दोनों युवकों का इलाज करने को कहा गया।

लेकिन डॉ सुमित वर्मा ने भी दोनों युवकों की नब्ज देखते ही मृत घोषित कर दिया। फिर भी आक्रोशित ग्रामीण मानने को तैयार नहीं थे, कि दोनों युवक की मौत हो गई है। फिर तीसरा चिकित्सक डॉ राकेश कुमार के द्वारा दोनों युवकों को देखा गया। राकेश कुमार ने भी दोनों युवकों को मृत घोषित कर दिया। इसके बाद आक्रोशित ग्रामीणों ने प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के कार्यालय में घुसकर उन्हें बाहर निकाला तथा ग्रामीणों का आरोप था कि एंबुलेंस में ऑक्सीजन नहीं भेजा गया। जिसके कारण दोनों युवकों को समय पर ऑक्सीजन नहीं मिलने से दोनों की मौत हो गई है। क्योंकि जब कुएं से दोनों युवक को निकाला गया तो सांसे चल रही थी।

इसी से आक्रोशित ग्रामीणों ने प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के साथ धक्का-मुक्की करने लगा। घटनास्थल पर मौजूद थानाअध्यक्ष पंकज कुमार झा एवं सहायक अवर निरीक्षक श्यामसुंदर कुमार ने ग्रामीणों के चंगुल से किसी तरह प्रभारी को बचाकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा कक्ष में ले जाकर सुरक्षित रखा। वहीं ग्रामीणों के आरोप के बारे में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ जयप्रकाश सिंह ने बताया कि हमने अति आधुनिक युक्त एंबुलेंस को घटनास्थल पर भेजा था। जिसमें ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में थी। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने बताया कि ग्रामीणों की मांग थी, कि कुएं में पाइप के द्वारा ऑक्सीजन उपलब्ध कराया जाए। जो यहां संभव ही नहीं है।

इसी बात से ग्रामीणों ने मेरे साथ धक्का-मुक्की की है। इस घटना की सूचना प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी द्वारा सिविल सर्जन को भी दी गई है। इधर पूरे घटनाक्रम की सूचना मिलने पर सदर एसडीओ धनंजय कुमार अस्पताल परिसर पहुंचकर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी से घटना की विस्तृत जानकारी ली। सदर एसडीओ ने बीडीओ अभिनव भारती को दोनों मृतकों के अभिलेख तैयार कर जिला भेजने को कहा।

ताकि दोनों मृतक के स्वजनों को आपदा के तहत चार चार लाख रुपये मुआवजा दी जा सकें।बीडीओ ने बताया कि अभिलेख भेजने के लिए अंचलाधिकारी को कह दिया गया है। यथाशीघ्र आपदा का लाभ मृतक परिवार के स्वजनों को मिल जाएगा। वही उग्र ग्रामीणों ने अस्पताल परिसर का घेराव कर काफी हंगामा किया। एंबुलेंस के शीशे को भी तोड़ दिया। लुकिंग ग्लास को तोड़ दिया। थानाध्यक्ष ने किसी तरह समझा-बुझाकर दोनों शव को शाहकुंड थाना लाया एवं काफी समझा-बुझाकर मामले को शांत कराया। इसके बाद दोनों शव को पोस्टमार्टम हेतु भागलपुर भेज दिया गया। घटना को लेकर मु, सद्दाम की पत्नी नूरजहां के बयान पर यूडी केस दर्ज किया गया है।

थानाध्यक्ष ने बताया कि एनडीआरएफ की टीम को आधे रास्ते से वापस कर दिया गया। घटना को देखते हुए दंगा निरोधक दस्ता भी मंगवाया गया था। लेकिन जरूरत नहीं होने के कारण उसे भी वापस कर दिया गया। मामले को लेकर पूरे अस्पताल कर्मी काफी दहशत में हैं। इस घटना को लेकर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ जयप्रकाश सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत सैकड़ों की संख्या में गर्भवती माता हॉस्पिटल आयी थी। लेकिन इस अफरातफरी में सभी कार्य बाधित हो गए। तथा एएनएम की समीक्षात्मक बैठक भी स्थगित करनी पड़ी। उन्होंने अस्पताल परिसर में और सुरक्षा बढ़ाने की मांग जिला प्रशासन से की है

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