सहरसा जिले के कांप बाजार स्थित कापेश्वर नाथ शिव मंदिर प्रांगण में इस वर्ष भी कला, संस्कृति और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिलेगा। बिहार सरकार के कला–संस्कृति एवं युवा विभाग तथा जिला प्रशासन सहरसा के संयुक्त तत्वावधान में 8 और 9 दिसंबर को दो दिवसीय राज्य स्तरीय कार्तिक पूर्णिमा महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। लगातार पाँच वर्षों से सफलतापूर्वक आयोजित हो रहा यह महोत्सव अब सहरसा के सांस्कृतिक कैलेंडर का एक प्रतिष्ठित हिस्सा बन चुका है, जिसका स्थानीय लोगों के साथ-साथ बाहरी जिलों से आए श्रद्धालुओं को भी बेसब्री से इंतजार रहता है।
आयोजन को लेकर जिला प्रशासन ने सभी तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया है। पूरा मंदिर परिसर रंग–बिरंगी रोशनियों, आकर्षक सजावट और पारंपरिक अलंकरण से जगमगा रहा है। आयोजन स्थल पर सुरक्षा, व्यवस्था और भीड़ नियंत्रण के लिए व्यापक प्रबंध किए गए हैं। वहीं, कोलकाता सहित देश के कई राज्यों से विशेष झांकी मंडलियों के आगमन ने इस महोत्सव की भव्यता को कई गुना बढ़ा दिया है। इन झांकियों में धार्मिक कथाओं को आधुनिक तकनीक और सांस्कृतिक भाव के साथ प्रस्तुत किया जाएगा, जो दर्शकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहेंगी।
महोत्सव का शुभारंभ सोमवार, 8 दिसंबर को शाम 6 बजे होगा। पहले दिन पटना के लोकप्रिय लोकगायक अमर आनंद और प्रसिद्ध लोकगायिका प्रिया राज अपने सुरों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देंगे। उनकी भक्ति और लोकधुनों से पूरा वातावरण आध्यात्मिक रंग में रंगने वाला है। इसके अलावा विभिन्न क्षेत्रों से आए कलाकारों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ और झांकियाँ श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करेंगी।
दूसरे दिन, 9 दिसंबर मंगलवार को, कार्यक्रम और भी खास होने वाला है। नई दिल्ली की प्रख्यात गायिकाएँ सृष्टि श्रुति और अनुष्का साक्षी अपनी स्वर लहरियों से मंच को सजीव करती नजर आएँगी। इनके बाद भोजपुरी संगीत की उभरती हुई लोकप्रिय गायिका नंदिनी द्विवेदी दर्शकों को अपनी ऊर्जावान प्रस्तुति से झूमने पर मजबूर कर देंगी। दूसरे दिन की यह श्रृंखला महोत्सव के उत्साह और मनोहरता को चरम पर पहुँचा देगी।
यह राज्य स्तरीय महोत्सव न केवल आस्था और संस्कृति का संगम है, बल्कि स्थानीय कलाकारों को मंच देने और क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत को व्यापक पहचान दिलाने का भी माध्यम बन चुका है। श्रद्धालुओं और आगंतुकों की भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने सुविधाओं को सुदृढ़ किया है, ताकि हर आगंतुक सुरक्षित, सहज और आनंददायक अनुभव ले सके।
कार्तिक पूर्णिमा महोत्सव सहरसा की आध्यात्मिक धरोहर और सांस्कृतिक पहचान को फिर एक बार उजागर करने जा रहा है, जहाँ आस्था की रोशनी, कला की चमक और संस्कृति का गौरव सब एक साथ झिलमिलाएगा।
