गोपालपुर प्रखंड के धरहरा गांव निवासी सौरभ सिंह, जो कभी मात्र 15,000 रुपये की मासिक तनख्वाह पर एक सुरक्षा एजेंसी में नौकरी करते थे, आज आयकर विभाग की ओर से भेजे गए 54 लाख रुपये की भारी-भरकम पेनाल्टी नोटिस से परेशान हैं। आयकर विभाग का कहना है कि सौरभ सिंह के खाते से वर्ष 2014 में साढ़े चार करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन हुआ है, जिसके एवज में उन्हें यह जुर्माना भरना होगा। लेकिन सौरभ इस पूरे मामले में खुद को निर्दोष बताते हैं और इसे एक बड़ी गलतफहमी या सिस्टम की चूक मानते हैं।

सौरभ सिंह ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2014 तक भागलपुर स्थित एसआईएस (SIS) नामक सुरक्षा कंपनी में काम किया था। उनका काम था बैंक से नकद रकम निकालकर विभिन्न एटीएम मशीनों में पैसे लोड करना। इस प्रक्रिया के दौरान बैंक कर्मचारियों द्वारा उनके और उनके जैसे अन्य कर्मचारियों से पैन कार्ड लिए जाते थे, ताकि बड़े लेन-देन के समय उनका उपयोग किया जा सके।

सौरभ का कहना है कि कंपनी के पास ही संबंधित बैंक खाता था और वही खाता एटीएम के लिए उपयोग होता था। वे केवल एक माध्यम थे – बैंक से पैसे निकालकर एटीएम तक पहुंचाने का। उनका निजी खाता पंजाब नेशनल बैंक में है, और उसमें ऐसे किसी भी प्रकार का लेन-देन नहीं हुआ है।

उन्होंने यह भी बताया कि 2014 में नौकरी छोड़ने के बाद से वे अपने गांव लौट आए और खेती-बाड़ी कर अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहे हैं। उनके पास पांच बीघा जमीन है और वे एक साधारण किसान का जीवन जी रहे हैं। लेकिन अब जब 2024 में आयकर विभाग से उन्हें पहले एक ईमेल मिला और फिर 20 मई को एक नोटिस उनके घर पहुंचा, तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई।

नोटिस में लिखा था कि उनके नाम से 4.5 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ है, और इसके आधार पर आयकर विभाग ने 54 लाख रुपये की पेनाल्टी लगाई है। सौरभ के अनुसार, उन्होंने तुरंत बैंक से संपर्क किया और पूरी जानकारी ली। बैंक की पड़ताल में सामने आया कि जिस खाते से ट्रांजेक्शन हुआ है, वह खाता एसआईएस कंपनी के नाम पर है, न कि उनके व्यक्तिगत खाते से।

सौरभ ने आयकर विभाग की वेबसाइट पर लॉगिन कर इस पूरे मामले में शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने अपने बैंक खाते की पूरी विवरणी भी विभाग को भेज दी है, ताकि यह साबित किया जा सके कि वे इस मामले में सीधे तौर पर जुड़े नहीं हैं।

यह घटना केवल सौरभ की नहीं है, बल्कि उन हजारों युवाओं की कहानी है जो नौकरी के दौरान अनजाने में ऐसी प्रक्रियाओं का हिस्सा बन जाते हैं, जो आगे चलकर उनके लिए परेशानी का सबब बनती हैं। यह मामला इस ओर इशारा करता है कि कर्मचारियों की व्यक्तिगत जानकारी का इस्तेमाल कितनी गंभीर जिम्मेदारी के साथ किया जाना चाहिए, और साथ ही सरकारी विभागों को भी अपनी जांच-पड़ताल में अधिक पारदर्शिता और संवेदनशीलता लानी चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *