बांग्लादेश में बिगड़ते सुरक्षा हालात को देखते हुए भारत ने गुरुवार को एक अहम फैसला लिया है। भारत सरकार ने राजशाही और खुलना में स्थित दो और भारतीय वीजा आवेदन केंद्र (IVAC) को अस्थायी रूप से बंद कर दिया है। इसके पीछे बांग्लादेश में मौजूदा सुरक्षा स्थिति और भारत विरोधी गतिविधियों का हवाला दिया गया है।
भारतीय अधिकारियों के मुताबिक, जिन आवेदकों ने गुरुवार, 18 दिसंबर के लिए वीजा अपॉइंटमेंट बुक किया था, उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है। ऐसे सभी आवेदकों को बाद की तारीख में नया स्लॉट दिए जाने का सुझाव दिया गया है। भारत का यह कदम उस समय सामने आया है, जब बांग्लादेश में बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों ने राजशाही में मौजूद भारतीय असिस्टेंट हाई कमीशन की ओर मार्च करने की कोशिश की। इस दौरान भारत विरोधी नारे भी लगाए गए, जिससे हालात और संवेदनशील हो गए।
गौरतलब है कि हाल ही में भारत ने बांग्लादेश के उच्चायुक्त मोहम्मद रियाज हामिदुल्लाह को तलब कर नवोदित छात्र नेताओं के भारत विरोधी और भड़काऊ बयानों पर कड़ी आपत्ति जताई थी। इसके बाद दोनों देशों के संबंधों में तनाव और गहराता नजर आ रहा है।
उधर, भारत में स्वनिर्वासन में रह रहीं बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। शेख हसीना ने कहा कि यूनुस के पास न तो जनादेश है और न ही कूटनीतिक अनुभव। उन्होंने आरोप लगाया कि राजनीतिक वैधता की तलाश में यूनुस पाकिस्तान के साथ नजदीकी बढ़ा रहे हैं, जिससे देश को अस्थिरता की ओर धकेला जा रहा है।
शेख हसीना ने भारत के धैर्य की सराहना करते हुए कहा कि ढाका और नई दिल्ली के संबंध अस्थायी और अवैध रुकावटों के कारण प्रभावित हुए हैं। इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल द्वारा मौत की सजा सुनाए जाने और अवामी लीग पर प्रतिबंध को लेकर उन्होंने इसे गैर-चुनी हुई अंतरिम सरकार के इशारे पर काम करने वाली “कंगारू कोर्ट” का फैसला बताया।
इस बीच, चुनाव की घोषणा के बाद से बांग्लादेश में हिंसा और अराजकता जारी है। ताजा घटना ढाका के हजारीबाग इलाके की है, जहां एक महिला छात्रावास में नेशनल सिटीजन पार्टी की नेता जन्नत आरा रूमी की मौत हो गई। यह घटना बांग्लादेश में गहराते राजनीतिक संकट और असुरक्षा की तस्वीर को और गंभीर बनाती है।
