बिहार में तिपहिया इलेक्ट्रिक वाहन का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू होने जा रहा है।

इसमें ई-रिक्शा, ई-एंबुलेंस और ई-फिशगार्ड शामिल हैं।

सरकार ने बेगूसराय इंडस्ट्रियल एरिया में इसके लिए जमीन आवंटित की है।

उद्योग विभाग की राज्य निवेश प्रोत्साहन पर्षद (एसआईपीबी) ने इसकी मंजूरी दे दी है।

बरौनी इंडस्ट्रियल एरिया के देवना में पायथॉक्स मोटर्स इलेक्ट्रिक वाहन बनाने की नई इकाई लगा रही है।

कंपनी अभी छोटे पैमाने पर बेगूसराय में ही ई रिक्शा बना रही है, जहां प्रतिवर्ष 400 ई रिक्शा बन रहे हैं। नई इकाई में प्रतिवर्ष एक हजार इलेक्ट्रिक वाहन बनाए जाएंगे।

यहां उत्पादन शुरू होने के बाद राज्य में प्रतिवर्ष डेढ़ हजार तिपहिया इलेक्ट्रिक वाहन का उत्पादन होने लगेगा। राज्य में ई रिक्शा की मांग बढ़ रही है। शहरों में ऑटो की जगह ले रहा है।

ई एंबुलेंस, ई कचरा वाहन आदि में भी इसका उपयोग हो रहा है। बिहार के बाजार में औसतन प्रतिमाह दो हजार ई रिक्शा की मांग है।

इस कारण बाहर से मंगाकर ई रिक्शा की आपूर्ति हो रही है। दिल्ली, एनसीआर के अलावा कई चाइनीज कंपनियां यहां आपूर्ति कर रही हैं।

कई प्रस्तावों को मिली मंजूरी

एसआईपीबी की बैठक में खाद्य प्रसंस्करण, निर्माण, वस्त्रत्त् एवं चमड़ा उद्योग आदि से संबंधित आए प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है।

बैठक में निवेश के कुल 48 प्रस्तावों को स्वीकार किया गया है। इसमें करीब 445 करोड़ रुपये का पूंजी निवेश होगा।

इसके अलावा 62 प्रस्तावों के प्रथम चरण को मंजूरी दी गई है, इसमें करीब 556 करोड़ रुपये का पूंजी निवेश होगा।

सिंगल विंडो पोर्टल पर वित्तीय प्रोत्साहन क्लीयरेंस के लिए आए 27 आवेदनों में से 16 को स्वीकृति दी गई। इसी पोर्टल पर दो करोड़ से अधिक पूंजी वाले 38 आवेदनों में से 23 को स्वीकृति दी गई है

कम कीमत पर उपलब्ध होगा

बाहर से आने वाले ई रिक्शा की तुलना में बिहार में बनने वाला ई रिक्शा कम कीमत पर उपलब्ध होगा।

पायथॉक्स कंपनी के एमडी अंकित कहते हैं कि दिल्ली, एनसीआर की तुलना में बिहार में बनने वाला रिक्शा आठ से दस हजार रुपये तक सस्ता होगा।

चाइनीज कंपनियां कुछ सस्ती हैं, लेकिन गुणवत्ता देखकर ही लोग खरीदते हैं।

स्थानीय स्तर पर बनने वाले ई रिक्शा की गुणवत्ता अच्छी है, इसलिए देश में बनने वाले ई रिक्शा की मांग बढ़ रही है।

रोजगार के भी अवसर बढ़ेंगे

सूबे में तिपहिया इलेक्ट्रिक वाहन उत्पादन की इकाई शुरू होने से रोजगार के भी अवसर बढ़ेंगे। इस इकाई के लगने से 50 से 100 लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा। वहीं 400 से 500 लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर मिलेंगे।

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