बिहार के बाहुबली नेता आनंद मोहन की रिहाई अब तय है. बिहार सरकार में उनको हमेशा हमेशा के लिए छोड़ने का आदेश दे दिया है. सरकारी नोटिफिकेशन भी जारी हो चुका है. बेटी की सगाई के बाद पहली बार पत्रकारों से बात करते हुए आनंद मोहन ने रिहाई पर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि सबसे पहले मैं अपने लाखों समर्थकों को धन्यवाद देता हूं. जब मैं जेल में था तो मेरी पत्नी और तीनों बच्चों ने काफी संघर्ष किया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का विशेष रूप से आभार व्यक्त करता हूं।

जब आनंद मोहन से पूछा गया कि क्या आप राजनीति में आएंगे और किसी पार्टी को ज्वाइन करेंगे. तो उन्होंने कहा कि अभी कोई फैसला नहीं लिया है. हालांकि संभावना व्यक्त की जा रही है कि लोकसभा चुनाव से पहले आनंद मोहन या तो राजद में या जदयू में शामिल हो सकते हैं।

बातचीत के दौरान जब उनसे पूछा गया कि कुछ लोग हैं जो आपकी रिहाई पर सवाल उठाते हैं तो गुस्सा व्यक्त करते हुए आनंद मोहन ने कहा कि इन लोगों को पहले सरकारी आदेश पढ़ लेना चाहिए. गांधी हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट ने क्या आदेश दिया उसे भी देख लेना चाहिए. बीजेपी वालों को कहीं अगर ध्यान नहीं जाता है तो कम से कम गुजरात में दिलकुश बानो मामले में तो देखना ही चाहिए।

जेल से छूटने के बाद सभी आरोपियों को माला पहनाकर स्वागत किया गया था. मुझे तो यहां माला पहनाने कोई नहीं आया. जहां तक सत्ता पर दबाव का प्रश्न है तो चाहे वह नीतीश कुमार हो या सुशील मोदी. लालू यादव हो या रविशंकर प्रसाद. सबसे हमारा अच्छा संबंध रहा है. हम सभी लोग जेपी आंदोलन की उपज हैं. आपको याद दिलाता चलो कि एक समय में बीजेपी के साथ हुआ करता था और लालू जी का विरोध किया करता था।

जब बिहार में एनडीए अपना जगह बना रही थी तब आदरणीय अटल जी और आडवाणी जी ने मुझसे समझौता किया था. मुझे नहीं पता कि उस समय बीजेपी के छोटे-छोटे नेता कहां थे लेकिन मैं अटल आडवाणी के मंच पर बगल में रहता था. उस समय के मेनिफेस्टो को आप देख सकते हैं. अटल आडवाणी के साथ-साथ मेरा भी हस्ताक्षर उस पर है।

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