चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहली बार कोई यान पहुंचा है। भारत के इस मिशन का फायदा सिर्फ हमें ही नहीं पुरी दुनिया को होगा।
इसरो के साथ मिलकर काम करने वाली दुनिया की अन्य अंतरिक्ष एजेंसियां भी इसका विश्लेषण करेंगी। खासकर अमेरिकी एजेंसी नासा का आगामी आर्टेमिस मिशन भी इसके आंकड़ों के आधार पर काम करेगा।
लैंडिंग के बाद प्रज्ञान रोवर चंद्रमा की सतह पर 14 दिन तक घूम-घूम कर आंकड़े एकत्र करेगा। इसमें लगे दो उपकरणों में से अल्फा पार्टिकल एक्सरे स्पेक्ट्रोमीटर चंद्रमा की सतह का रासायनिक विश्लेषण करेगा, जबकि दूसरा लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप सतह पर धातु की खोज व उसकी पहचान करेगा।
चंद्रयान-3 के आंकड़े इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि चांद के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र के बारे में अब तक ज्यादा जानकारी नहीं है। चंद्रयान-1 ने भी इस क्षेत्र से ही आंकड़े जुटाए थे।
यहां गहरी खाइयां व ऐसे स्थान हैं, जहां सूर्य की रोशनी नहीं पहुंची है, इसलिए नई जानकारी की संभावनाएं ज्यादा है।
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