उधार लेने के बाद भूलने की आदत आम है. अगर उधार की राशि कम हो तो भूलने की संभावना और भी बढ जाती है. आज हम आपको एक ही घटना के बारे में बताएंगे जिसे जानने के बाद आपको लगगेगा कि ऐसे लोग आज भी हैं. यह घटना आंध्र प्रदेश के मोहन की है, मोहन ने मूंगफली तो खरीद ली लेकिन उनके जेब में पैसे नहीं थे इसीलिए वह मूंगफली बाले को पैसे नहीं दे पाए और वह पैसा उधार रह गया. लेकिन बदा के दिनों में मोहन ने यह पैसा चुकाया आगे हम बताएंगे कि कैसे और कितने दिनों में…

इस उधार की कहानी की शुरुआत होती है साल 2010 से. जब मोहन अपने बेटे नेमानी प्रणव और बेटी सुचिता के साथ आंध्र प्रदेश के U कोठारी पल्ली beach पर घूमने निकले थे. यहीं पर मोहन ने अपने बच्चों के लिए सत्तैया नाम के मूंगफली वाले से मूंगफलियां खरीदीं थीं. बच्चों ने मूंगफली खानी शुरू कर दी लेकिन जब पैसे देने की बारी आई तो मोहन को लगा कि वो अपना पर्स घर ही भूल आए हैं. अब उनके पास मूंगफली वाले को देने के लिए पैसे नहीं थे. मूंगफली बाले की दरियादिली देखिए उसने पैसे नहीं लिए और मूंगफली दे दिया. इसके बाद मोहन ने यह वादा भी किया की वाद में हम यह पैसा लौटा देंगे. इसके बाद मोहन ने सतैया की एक फोटो भी खिंची. हमने पहले भी कहा था कि कम पैसे की उधारी लोगों को ज्यादा दिनों तक याद नहीं रहती है यहां पर मोहन के साथ भी ऐसा ही हुआ, मोहन बिना पैसा चुकाए विदेश चले गए. यानी की वे अमेरिका चले गए.

ग्यारह साल के बाद मोहन और उनके बच्चे एक बार फिर से वापस भारत आए, उन्हें आज भी उस मूंगफली वाले का उधार याद था. उन्होनें सतैया को पैसे वापस करने का फैसला किया. लेकिन इन सब के बीच में समस्या यह थी कि आखिर उसको खोजा जाए तो कहा खोजा जाए. ऐसे में मोहन और उनके दोनों बच्चे उसे खोजने के लिए निकल पड़े. ऐसे में नेमानी और उनकी बहन ने सत्तैया को ढूंढने में काकीनाडा शहर के विधायक चंद्रशेखर रेड्डी की मदद ली. सत्तैया की तलाश के लिए विधायक ने अपने फेसबुक आई़डी से उसकी फोटो शेयर कर दी. कुछ दिनों के बाद सतैया का पता चल गया. लेकिन दुःख इस बात का था कि सतैया अब इस दुनिया में नहीं रहे. सतैया के पूरे परिवार से नेमानी और सुचिता मिले. उनके परिवार को उन्होने 25000 रुपये दिए और अपना उधार पूरा किया. धरती आज बहुत ही कम ऐसे लोग हैं जो इस तरह से छोटे से उधार को याद रखते हैं और लौटाने आते हैं.

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