बिहार में शराबबंदी को लागू करने के लिए सरकार लगातार सख्ती बरत रही है, लेकिन इसके बावजूद शराब तस्करी और उससे जुड़ा अपराध रुकने का नाम नहीं ले रहा। सबसे चिंता की बात यह है कि अब शराब तस्करों और असामाजिक तत्वों की हिम्मत इतनी बढ़ गई है कि वे पुलिस टीमों पर खुलेआम हमला करने लगे हैं। गोपालगंज में एक बार फिर ऐसी ही घटना सामने आई है, जहां शराब तस्करों को पकड़ने गई पुलिस टीम पर हमला कर दिया गया।

**घटना की पूरी जानकारी:**
यह ताजा मामला गोपालगंज जिले के गोपालपुर थाना क्षेत्र के अहरौली दुबौली पंचायत के तकिया टोला गांव का है। पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि यहां बड़े स्तर पर शराब की तस्करी की जा रही है। सूचना मिलते ही कुचायकोट थाने की पुलिस टीम मौके पर छापेमारी करने पहुंची। लेकिन पुलिस के पहुंचते ही गांव के लोगों ने ईंट और पत्थरों से हमला बोल दिया।

इस हमले में कुचायकोट थानाध्यक्ष आलोक कुमार और एक चौकीदार गंभीर रूप से घायल हो गए। आनन-फानन में दोनों को इलाज के लिए सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टर की निगरानी में उनका इलाज चल रहा है।

**पुलिसकर्मियों ने भागकर बचाई जान:**
जब हमला तेज हुआ तो पुलिसकर्मियों ने किसी तरह भाग कर अपनी जान बचाई। सूचना मिलते ही एसपी अवधेश दीक्षित, एसडीपीओ प्रांजल और गोपालपुर, कुचायकोट, विशंभरपुर, फुलवरिया समेत कई थानों की पुलिस मौके पर पहुंची और पूरा गांव पुलिस छावनी में तब्दील हो गया।

एसपी अवधेश दीक्षित ने बताया कि हमलावरों की पहचान की जा रही है और गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है। इस कार्रवाई के दौरान गांव के कई लोग अपने घरों में ताले लगाकर फरार हो गए। हालांकि पुलिस ने करीब आधा दर्जन पुरुष और महिलाएं गिरफ्तार की हैं और कुछ संदिग्ध गाड़ियों को भी जब्त किया गया है।

**शराबबंदी के बीच बढ़ती घटनाएं:**
यह घटना कोई पहली नहीं है। मार्च और अप्रैल महीने में बिहार के कई जिलों में पुलिस टीमों पर ऐसे ही हमले हुए हैं। अररिया और मुंगेर में पुलिस पर हमले में एएसआई की हत्या हो गई थी। भागलपुर, समस्तीपुर, पटना, नवादा जैसे जिलों में भी पुलिस को इस तरह की हिंसक घटनाओं का सामना करना पड़ा है।

23 मार्च को अररिया में तो स्थिति और गंभीर थी जब एसटीएफ और स्थानीय पुलिस की टीम पर बदमाशों ने फायरिंग कर दी। इस फायरिंग में एसटीएफ के 5 जवान घायल हो गए थे, हालांकि जवाबी कार्रवाई में एक कुख्यात अपराधी मारा गया।

**आखिर तस्करों को इतनी हिम्मत क्यों?**
सवाल उठता है कि आखिर शराब तस्करों की इतनी हिम्मत कैसे हो गई कि वे खुलेआम कानून के रक्षकों पर हमला कर रहे हैं? इसका सीधा जवाब है – नेटवर्क का फैलाव, स्थानीय संरक्षण, और कानूनी प्रक्रिया की धीमी गति। जब अपराधियों को यह भरोसा हो जाए कि उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं होगी, तो उनके हौसले बढ़ जाते हैं। इसके साथ ही कुछ स्थानों पर तस्करी में स्थानीय लोगों की मिलीभगत भी सामने आई है, जो पुलिस कार्रवाई में बड़ी बाधा बनती है।

**सरकार और प्रशासन की चुनौती:**
बिहार में शराबबंदी के बाद से पुलिस को बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। एक तरफ शराब तस्करों का जाल दिन-प्रतिदिन फैलता जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ पुलिसकर्मी अपनी जान जोखिम में डालकर कार्रवाई कर रहे हैं। ऐसी घटनाएं न केवल कानून व्यवस्था के लिए खतरा हैं, बल्कि पुलिसकर्मियों के मनोबल को भी प्रभावित करती हैं।

अब जरूरत है कड़े कदम उठाने की। ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई, कठोर सजा और स्थानीय नेटवर्क को ध्वस्त करना जरूरी है ताकि कोई भी कानून को हाथ में लेने की हिम्मत न कर सके।

**निष्कर्ष:**
बिहार में शराबबंदी का उद्देश्य भले ही समाज को नशे से मुक्त करना हो, लेकिन इसके खिलाफ खड़ा हुआ तस्करी का सिंडिकेट अब पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। अगर इन घटनाओं पर समय रहते सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो यह कानून व्यवस्था को गहरा नुकसान पहुंचा सकता है।

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