पिता पुत्र की तो कई बात सुनते है। लेकिन इस अनोखी कहानी में पुत्र को सैलूट करेगा पिता। पिता घर का मुखिया होता है। हर पुत्र पिता के पैर छूता है। गांव में तो ये बहुत देखने को मिलता है। जंहा हर पुत्र अपने पिता को पैर छू कर सम्मानित करता है। लेकिन एक कहानी (Story) ऐसी भी है, जंहा पिता पुत्र को सेल्यूट (Salute) करेगा।
IPS अनुप कुमार सिंह जब एस पी (SP) के रूप में अपना प्रभार सम्भालने के लिए विभूतिखण्ड पुलिस स्टेशन पहुँचेंगे, तो वहाँ तैनात कॉन्स्टेबल जनार्दन सिंह (Police Constable Janardan Singh) के लिए वो पल बहुत ही यादगार और गर्व से भरा होगा और हो भी क्यों ना उनका बेटा उनके अधिकारी के रूप में उनके सामने होगा जो उनकी जिंदगीभर की मेहनत का परिणाम है।
पिता को हुआ गर्व
एक पिता के लिए इससे ज्यादा गर्व की बात क्या हो सकती है कि उसका बेटा उससे बड़े पद पर हो। उससे ज्यादा तरक्की करे। ऐसा ही कुछ लखनऊ के विभूतिखंड थाने में तैनात सिपाही जनार्दन सिंह के साथ हुआ है। जनार्दन सिंह (Janardan Singh) का बेटा आईपीएस (IPS Son) बन चुका है। इससे ज्यादा खुशी की बात यह है कि बेटे को भी लखनऊ जिले में ही तैनाती मिल गई है। पिता अब अपने ही आईपीएस बेटे के अधीन रहकर काम करेंगे। अनूप सिंह उन्नाव में तैनात थे और अब उनका तबादला कर उन्हें लखनऊ के एसपी (Superintendent of Police) नार्थ का चार्जे दिया गया है। जहां पिता जनार्दन सिंह स्थानीय थाने विभूतिखंड में बतौर सिपाही के पद पर तैनात हैं।
बाप बेटा का रिश्ता
घर में बेटा अपने पिता के पैर छुएगा। घर में दोनों का रिश्ता बाप-बेटे का होगा, लेकिन जब ड्यूटी पर होंगे तो स्थिति एकदम अलग होगी। अगर पिता का बेटे से सामना होगा तो पिता को सैल्यूट करना होगा। ये एक अनोखा संयोग है जिसे सुन हर कोई आश्चर्य है। जहां पिता कांस्टेबल हैं, उसी इलाके में आईपीएस बेटे की तैनाती एसपी के तौर पर हुई है।
ये बात बहुत तेजी से सुर्खियां में छा गई हर कोई पिता पुत्र की बात कर रहा। अब मेरा बेटा मेरा सीनियर है। बेटे के नेतृत्व में काम करना मुझे अच्छा लगेगा। उन्होंने कहा कि जब बेटा आईपीएस (IPS) बना था, तब उन्हें बेहद ख़ुशी हुई थी, यह दूसरा मौका है, जब मैं और मेरा परिवार खुश है। वह बताते हैं कि अब तक बेटे की तैनाती लखनऊ के बगल के जिले उन्नाव में तैनाती थी।
काम से पहले छुये कॉन्स्टेबल पिता के पैर
बेटे ने अपना फर्ज निभाते हुए। काम की शुरुआत करने से पहले अपने पिता के पैर छूना जरूरी समझा ये देखकर हर किसी ने तारीफ की।आईपीएस बनने के बाद भी बेटे ने अपने संस्कार नही भूले। आईपीएस अनूप कुमार सिंह (IPS Anup Kumar Singh) ने पहली मीटिंग शुरू करने से पहले अपने पिता के पांव छूकर उनके आशिर्वाद लिया और कुछ ही समय बाद जनार्दन ऑफिस में अपने बेटे और एसपी नोर्थ से आदेश सुनने की प्रतीक्षा कर रहे थे।
अनूप के पिता जनार्दन इस बारे में कहते हैं कि अपने बेटे को अपना सीनियर पाकर गर्व महसूस होता है। जनार्दन ने आगे कहा कि यह मेरे लिए सम्मान की बात है। अपने बेटे के जूनियर के तौर पर काम कर अच्छा महसूस हो रहा है। एक पिता के लिए काफी गर्व की बात होगी कि वह अपने बेटे को सैल्यूट करेंगे। ड्यूटी के दौरान बाप-बेटे के बजाय सीनियर जूनियर का रिश्ता निभाएंगे वहीं घर पर बेटा पिता के पैर छूएगा।
पिता पुत्र की साथ तैनाती
बेटे के अधीन रह कर काम करने में कितना सहज होगा, इस पर जनार्दन सिंह फक्र से कहते हैं कि वह ड्यूटी पर कप्तान को सैल्यूट करेंगे। जनार्दन सिंह ने बताया कि बेटा बहुत ही सख्त और ईमानदार है। वहीं आईपीएस बेटे अनूप सिंह का कहना है कि वह घर पर पिता के पैर छूकर आशीर्वाद लेंगे लेकिन, फर्ज निभाने के दौरान प्रोटोकाल का पालन करेंगे।
उनकी माता कंचन सिंह ने खास बातचीत में बताया कि उनका परिवार खुशनसीब है। उसके बेटे (IPS Anup Kumar Singh) ने अपनी मेहनत के दम पर यह मुकाम हासिल किया है। सरकार ने पिता-पुत्र को एक ही जिले में तैनाती देकर पूरे परिवार को एक अलग तरह के अनुभव में जीने का मौका दिया है।
बचपन का सपना हुआ पूरा
आईपीएस अनूप (IPS Anup Kumar Singh) की पत्नी ने बताया कि उसके पति काफी सख्त ऑफिसर हैं। जो अपनी ड्यूटी में किसी भी प्रकार की ढिलाई नजरअंदाज नहीं करते हैं। आईपीएस अनूप को नॉनवेज खाना काफी पसंद है। मां कंचन ने बताया कि अनूप के पिता बचपन से ही कहते थे कि उनका बेटा आईपीएस (Son IPS) बनेगा। बचपन से ही उनको सरकारी अफसर बनने के लिए प्रेरित किया। इसके लिए वे बचपन से ही अनूप के मन में पुलिस की नौकरी के लिए उत्साह पैदा करते रहते थे।
अनूप बचपन से ही पढ़ाई में होशियार थे। अनूप सिंह की प्रारम्भिक शिक्षा बाराबंकी से पूरी हुई। उन्होंने ग्रेजुएशन इलाहाबाद विश्वविद्यालय से और पोस्ट ग्रेजुएशन जेएनयू से किया था। बस्ती जिले के नगर थाना क्षेत्र पिपरा गौतम गांव के मूल निवासी जनार्दन सिंह नौकरी के सिलसिले में अलग-अलग जिलों में रहे। अनूप सिंह की प्रारम्भिक शिक्षा बाराबंकी से पूरी हुई।
उन्होंने ग्रेजुएशन इलाहाबाद विश्वविद्यालय से और पोस्ट ग्रेजुएशन जेएनयू से किया था। जेएनयू (JNU) विश्वविद्यालय में पीजी के दौरान उन्हें स्कॉलरशिप भी मिली थी। पिता ने बताया कि उनका बेटा अपने सीमित खर्च के चलते स्कॉलरशिप से भी रुपये बचाकर घर भेज देता था। मतलब कम खर्चे में रहकर पढ़ना और उससे भी पैसे बचाकर घर चलना, यह कला भी अनूप ने लोगो को बता दी और एक उदहारण पेश किया।