कई बार हादसे इंसान को मजबूर कर देते हैं. ऐसा ही एक हादसा 40 साल के अमित के साथ 10 साल पहले हुए था. वो 10 साल से चल नहीं पा रहे थे. यहां तक कि उन्होंने जीने की उम्मीद ही छोड़ दी थी. इसके बावजूद उनका इलाज कर रहे डॉक्टरों ने हार नहीं मानी. नतीजा यह रहा कि अब अमित जीना चाहते हैं. आइये आपको बताते हैं अमित के साथ क्या हुआ और डॉक्टरों ने कैसे उन्हें जीने की उम्मीद दी. 

40 साल के अमित कुमार ने जीने की उम्मीद ही छोड़ दी थी. 10 साल पहले हुए एक एक्सीडेंट में अमित के पैर की हालत ऐसी हो गई कि वो चल भी नहीं पा रहे थे. उनके पैर में Elephantiasis नाम की बीमारी हो गई थी. जिसकी वजह से टांग का वजन बढ़ता चला जा रहा था.

10 साल से अमित एक कदम नहीं चल पाए. रोड एक्सीडेंट के बाद उनकी सर्जरी हुई फिर उनके जांघ में परेशानी आई. उसमें कुछ गांठें बन गई थी. इसके बाद अमित की टांग का वजन और दायरा बढ़ता चला गया. इस बीमारी को Elephantiasis या Lymphedema भी कहा जाता है. इस बीमारी की वजह से उनके पांव में फ्लूईड जमना शुरू हो गया था.

दिल्ली के पटपड़गंज के मैक्स अस्पताल में माइक्रो सर्जिकल तकनीक से उनकी सर्जरी की गई. नॉन सर्जिकल तरीकों से भी टांग का वजन कम किया गया. अब उनकी बांई टांग का वजन 45 किलो से घटकर 25 किलो हो चुका है.

एक सामान्य पुरुष के टांग की औसत मोटाई आमतौर पर 35 से 40 सेंटीमीटर होती है. जबकि अमित के मामले में ये 120 सेंटीमीटर थी. अब सर्जरी के बाद ये घटकर 65 सेंटीमीटर हो चुकी है. डॉक्टरों ने बताया कि पहले पांव का वजन कम करने के लिए लाइपोसक्शन तकनीक प्रयोग की जाती थी. पांव से एक्स्ट्रा फैट हटा दिया जाता था. लेकिन अमित के मामले में Lympho-venous anastomosis (LVA) तकनीक का इस्तेमाल किया गया.

इस इलाज में कई महीनों का वक्त लगा. लेकिन यही सुरक्षित तरीका था. इस तकनीक में 0.1-0.2 mm diameter की Lymph vessels को आपस में जोड़ा जाता है और ब्लॉक्ड हिस्से को छोड़ दिया जाता है.

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