सहरसा के मेनहा स्थित बहुचर्चित शांति निकेतन संस्थान के निदेशक अजीत कुमार विश्वास के पॉक्सो केस में आरोपित पुत्र सुनीत उर्फ सम्राट विश्वास को लगभग डेढ़ साल के बाद, बुधवार को माननीय पॉक्सो कोर्ट ने बाईज्जत बरी कर दिया । माननीय पॉक्सो कोर्ट के ऑनरेबल जज कृष्ण कुमार चौधरी ने इस केस में पीड़ित पक्ष के वकीलों की जिरह की बनावट और साक्ष्य के अभाव में यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया है । गौरतलब है कि पिछले साल जिला मुख्यालय के नरियार वार्ड नम्बर निवासी पीड़िता की माँ के आवेदन पर, सदर थाना में 28 अगस्त को काँड संख्या 609 / 2023 दर्ज कराया गया था, जिसमें सुनीत कुमार उर्फ सम्राट विश्वास सहित स्कूल की एक शिक्षिका अनिता कुमारी पर धारा 376 भा..द.वि. और 4 / 6 पॉक्सो एक्ट 2012 लगाते हुए आरोपित किया गया था । पुलिस ने निदेशक पुत्र सुनीत कुमार उर्फ सम्राट विश्वास को 29 अगस्त को और स्कूल शिक्षिका अनिता कुमारी को गिरफ्तार कर 5 सितंबर को सहरसा मंडल कारा भेजा था । इस कांड की अनुसंधानकर्ता रूपम कुमारी को बनाया गया था, जिन्होंने कोर्ट में 27 अक्टूबर को आरोप पत्र दाखिल कर दिया था ।

क्या है पूरा मामला

सदर थाना में दर्ज मामले के मुताबिक स्कूल निदेशक अजीत कुमार विश्वास के पुत्र सुनीत कुमार उर्फ सम्राट विश्वास पर एक छात्रा के साथ यौन उत्पीड़न का आरोप जबकि स्कूल की एक शिक्षिका पर  उसकी मदद करने का आरोप लगा था । यह कांड तथाकथित पीड़िता की माँ नाजरा प्रवीण के द्वारा दर्ज कराया गया था, जिसमें पिता मोहम्मद वलीउल्लाह सहित 21 लोगों को गवाह बनाया गया था ।

इस मामले को कई सामाजिक संगठन के लोगों और राजनेताओं ने काफी हवा दी थी और मामले को बहुत गरमाया था । आरोपितों की तरफ से विद्वान अधिवक्ता जितेंद्र नाथ झा ने कमान संभाली थी और बाद में विद्वान अधिवक्ता उपेंद्र झा और ललन झा को भी इस केस में शामिल किया गया ।विद्वान अधिवक्ता जितेंद्र नाथ झा और उपेंद्र झा की बहस और रूलिंग पर पकड़ और विद्वान अधिवक्ता ललन झा की मेहनत का नतीजा बेहद सकारात्मकऔर ऐतिहासिक निकला।कोर्ट में पीड़ित पक्ष के वकीलों के द्वारा की गई बहस और कोर्ट को उपलब्ध कराए गए साक्ष्य बेहद कमजोर साबित हुए ।इस केस में प्रॉस्टिकयूशन की तरफ से पहले विद्वान अधिकवक्ता इंदुभूषण सिंह और बाद में विद्वान अधिवक्ता कृष्ण मुरारी सिन्हा थे ।बहस के दौरान पीड़ित पक्ष के वकीलों ने 13 गवाहों को खुद ब खुद गिवअप करा लिया था ।

क्या कहा आरोपित के मुख्य वकील ने

इस बड़े केस को मुख्य रूप से विद्वान अधिवक्ता जितेंद्र नाथ झा लड़ रहे है थे । बाद में तीन अन्य वरीय अधिवक्ताओं ने इस मामले में सहयोग शुरू किया । जितेंद्र नाथ झा ने कहा कि यह केस पहले से ही प्रायोजित लग रहा था । घटना के पाँच साल के बाद केस दर्ज कराना, अपने आप में ही हास्यास्पद था । बिना मेडिकल के 376 धारा लग ही नहीं सकती है । उन्होंने कहा कि जिरह में गवाहों के बयान एक दूसरे से कहीं भी मेल ही नहीं खा रहे थे । हमने कोर्ट में वह सारे सबूत एक्जीविट कराए, जिससे यह केस धराशायी हो गया और माननीय जज ने उनके मुवक्किलों के पक्ष में ऐतिहासिक फैसला सुनाया । उन्होंने यह भी कहा कि यह केस उनके अभी तक के वकालत पेशे का सबसे महत्वपूर्ण केस था । यह न्याय की जीत है ।

क्या कह रहे हैं आरोपित के पिता


इस केस के मुख्य आरोपित के पिता अजीत कुमार विश्वास ने कहा कि हमारा विद्यालय गुरुकुल है । इस झूठे आरोप ने मुझे भीतर से झंकझोर कर रख दिया लेकिन मुझे शुरू से ही न्यायपालिका पर भरोसा था । देर हुई लेकिन फैसला हमारे पक्ष में आया । यह फैसला उन सभी के लिए एक बड़ी जीत है, जिन्हें न्यायपालिका पर भरोसा है ।


गौरतलब है कि इस केस पर, बहुत लोगों की नजर थी । एक तरफ जहाँ स्कूल की साख पर सवाल उठ रहे थे, तो दूसरी तरफ एक स्कूल के निदेशक के पूरे परिवार की तबाही होनी थी ।लेकिन माननीय कोर्ट ने यह बता दिया है कि साजिश कितनी भी गहरी हो लेकिन न्यायपालिका में दूध का दूध और पानी का पानी हो कर रहता है ।।

By Indradev Kumar

Patrakar

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