थोक और खुदरा बाजार के भावों की निगरानी रखने में लगा तंत्र खुद की रिपोर्ट में ही झूठा साबित हो रहा है। खाद्य संरक्षण विभाग के जारी आंकड़े की पड़ताल जब ‘हिन्दुस्तान’ ने की तो काफी चौंकाऊ परिणाम सामने आया। भागलपुर में प्रशासनिक आंकड़े और बाजार के मूल भाव में भारी अंतर है।

सबसे ज्यादा चौंकाऊ रिपोर्ट सहरसा और सुपौल की है। आलू की कीमत में करीब साढ़े तीन गुना अंतर है। प्याज में भी प्रति किलो 8 रुपये का अंतर है। भागलपुर खाद्यान्न संघ के उपाध्यक्ष अभिषेक जैन बताते हैं कि आलू-प्याज के भाव आवक के हिसाब से रोज बढ़ते-घटते हैं।

क्यों आता है इतना बड़ा अंतर

दुकानदार बताते हैं, आवक के हिसाब से बाजार का भाव तय होता है। कई बार सुबह व शाम की कीमत में बड़ा उतार-चढ़ाव होता है। ऐसे में यदि खुदरा विक्रेता ने सुबह माल उठा लिया है और सरकारी अधिकारी शाम की रिपोर्टिंग कर विभाग को डाटा भेज देते हैं तो अंतर आना जायज है। यह भी संभव है कि अनुमान पर टेबल राइटिंग किया गया हो।

सही बाजार भाव

आलू 12 रुपये किलो, प्याज 12-14 रुपये किलो

सरकारी बाजार भाव

आलू 15 रुपये किलो, प्याज 19 रुपये किलो

इस तरह से सरकारी पोर्टल पर होती है रेट फिडिंग

आपूर्ति विभाग के जानकार बताते हैं कि इसके लिए मार्केटिंग ऑफिसर (एमओ) को जिम्मेदारी दी गई है। वे बाजार में घूमकर आठ-दस दुकानों से भाव लेकर समेकित रिपोर्ट मोबाइल एप पर ऑनलाइन प्रतिदिन फीड करते हैं। चावल, आटा, दाल, तेल, चीनी, दूध, शक्कर, चाय, आलू, प्याज व टमाटर का थोक व खुदरा बाजार भाव फीड किया जाता है।

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