ठेठ पाकिस्तानी महिला का जीवन जन्म से ही उसकी आर्थिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक अधीनता से परिभाषित होता है. पाकिस्तान में पुरुषों और महिलाओं की स्थिति में काफी अंतर है. इसमें भेदभावपूर्ण कानून, खराब नीतियां, योजनाएं और कार्यक्रम, साथ ही अपर्याप्त बजटीय प्रावधान शामिल हैं. इसमें हानिकारक सामाजिक और सांस्कृतिक प्रथाएं भी शामिल हैं.

पाकिस्तान में लाचार महिलाएं

राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी और सार्थक या प्रभावी सकारात्मक कार्रवाई के अभाव के कारण असमानताएं जस की तस बनी हुई हैं. पाकिस्तान में महिलाओं के खिलाफ कई तरह की हिंसा होती है. घरेलू दुर्व्यवहार शारीरिक, मानसिक या भावनात्मक शोषण का रूप ले सकता है और यह काफी सामान्य है.

केवल सिंध में सामने आए 257 मामले

पाकिस्तान में अब भी महिलाएं सबसे ज्यादा रेप का शिकार होती हैं. इससे भी बुरा यह कि ज्यादातर पीड़िता कलंक के डर से इसकी रिपोर्ट नहीं करातीं. कुछ ही मामलों की रिपोर्ट की जाती है या उनकी जांच होती है. तमाम गैर सरकारी संगठनों से मिले आंकड़ों के मुताबिक पिछले तीन महीनों में सिंध में 257 महिलाएं अलग-अलग हिंसा का शिकार हुई हैं. जिनमें शारीरिक हमला, बलात्कार, अपहरण, घरेलू हिंसा और ऑनर किलिंग शामिल हैं.

पाकिस्तान के स्थानीय मीडिया आउटलेट डेली टाइम्स के अनुसार पिछले तीन महीनों के दौरान पूरे सिंध में इन 257 मामलों में से 70 महिलाओं पर शारीरिक हमला किया गया, 46 के साथ बलात्कार किया गया, 29 का अपहरण किया गया, 38 घरेलू हिंसा का शिकार हुईं, 29 का अपहरण किया गया, 41 की मौत हो गई और चार महिलाओं की ऑनर किलिंग में जान चली गई. पाकिस्तान में भले ही कई कानून हैं, फिर भी यह सब हो रहा है. सिंध में, सरकार महिलाओं के अधिकारों की रक्षा और बचाव करने में पूरी तरह विफल रही है.

महिलाओं के प्रति संकीर्ण मानसिकता

महिलाओं पर हो रहे ये हमले आज भी पाकिस्तानी समाज की महिलाओं के प्रति संकीर्ण मानसिकता की निशानी हैं. यहां तक ​​कि विदेश में रह रही पाकिस्तानी मूल की महिलाओं को भी भेदभाव का सामना करना पड़ता है. सस्टेनेबल सोशल डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (SSDO) और सेंटर फॉर रिसर्च, डेवलपमेंट एंड कम्युनिकेशन के एक अध्ययन के अनुसार, इस साल मई में पाकिस्तान में बलात्कार, महिलाओं के खिलाफ हिंसा और महिलाओं के अपहरण के सबसे अधिक मामले थे (CRDC).

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