कहलगांव स्थित विक्रमशिला महाविहार खुदाई स्थल के पास केंद्रीय विश्वविद्यालय की घाेषणा के सात साल बीत गए हैं, लेकिन अब तक विश्वविद्यालय बनाने के लिए जमीन नहीं मिल सकी है। प्रस्ताव में ही मामला उलझ रहा है।

हालांकि अब एक बार फिर से इस दिशा में पहल तेज हुई है। करीब आठ माह पहले केंद्रीय टीम आई थी ताे मलकपुर की जमीन काे देख कर कहा था-यहां से विक्रमशिला महाविहार दिखता है।

यह जमीन ठीक है। वहां की जमीन का प्रस्ताव भेजा गया। लेकिन इसके साथ ही यह भी बताया गया कि वहां की जमीन ले पाना संभव नहीं है। वहां अनुसूचित जाति-जनजाति की आबादी रहती है। काफी संख्या में पेड़ भी हैं। इसकी प्रारंभिक रिपाेर्ट पहले ही भेजी गई है। अब केंद्रीय टीम ने कुछ और बिंदुओं पर रिपाेर्ट मांगी है। जिला प्रशासन एक माह के अंदर वहां की डिटेल रिपाेर्ट भेजेगा। इसकी तैयारी चल रही है।

2015 में पीएम ने कहलगांव के विक्रमशिला खुदाई स्थल के पास केंद्रीय विवि बनाने की घाेषणा की थी

केंद्रीय टीम ने तीन माैजा की जमीन काे नहीं किया था पसंद

हालांकि अब एक बार फिर से इस दिशा में पहल तेज हुई है। करीब आठ माह पहले केंद्रीय टीम आई थी ताे मलकपुर की जमीन काे देख कर कहा था-यहां से विक्रमशिला महाविहार दिखता है।

यह जमीन ठीक है। वहां की जमीन का प्रस्ताव भेजा गया। लेकिन इसके साथ ही यह भी बताया गया कि वहां की जमीन ले पाना संभव नहीं है। वहां अनुसूचित जाति-जनजाति की आबादी रहती है। काफी संख्या में पेड़ भी हैं। इसकी प्रारंभिक रिपाेर्ट पहले ही भेजी गई है। अब केंद्रीय टीम ने कुछ और बिंदुओं पर रिपाेर्ट मांगी है। जिला प्रशासन एक माह के अंदर वहां की डिटेल रिपाेर्ट भेजेगा। इसकी तैयारी चल रही है।

2015 में पीएम ने कहलगांव के विक्रमशिला खुदाई स्थल के पास केंद्रीय विवि बनाने की घाेषणा की थी

केंद्रीय टीम ने तीन माैजा की जमीन काे नहीं किया था पसंद

11 फरवरी, 2022 काे केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय की टीम पहले भेजे गए प्रस्ताव के मुताबिक जमीन देखने आई थी। उसे अंतीचक माैजा, परशुरामचक-एकड़ारा माैजा और किशनदासपुर माैजा की जमीन देखी थी। टीम में केंद्रीय विश्वविद्यालय दक्षिण बिहार के वीसी डाॅ. केएन सिंह और यूजीसी के संयुक्त सचिव जितेंद्र कुमार त्रिपाठी शामिल थे।

जिला प्रशासन ने सबसे उपयुक्त परशुरामचक की जमीन काे बताया था, लेकिन टीम ने बताया कि तीनाें जगह की जमीन एनएच से करीब 6-7 फीट नीचे है। इसलिए वह सही नहीं है। मलकपुर की जमीन ठीक है, वहां से विक्रमशिला महाविहार दिखता है। बियाड़ा की जमीन काे भी टीम ने पसंद नहीं किया।

घाेषणा के 3 साल बाद भेजा गया था 200 एकड़ जमीन का प्रस्ताव

मानव संसाधन मंत्रालय की ओर से 20 नवंबर, 2015 को बिहार सरकार से 500 एकड़ की दो या तीन भूखंडों का प्रस्ताव भेजने का अनुरोध किया था। जमीन नि:शुल्क हाेनी चाहिए थी। इसके बाद बिहार सरकार ने विक्रमशिला विवि के लिए भूमि की आवश्यकता को 500 से घटाकर 200 एकड़ करने का अनुरोध किया। जमीन का प्रस्ताव केंद्रीय विवि की घाेषणा के तीन साल बाद भेजा गया। 21 दिसंबर, 2018 को 200 एकड़ के तीन प्रस्ताव भेजे गए। इसमें परशुरामचक, अंतीचक व किशनदासपुर माैजा की जमीन शामिल थी। फिर मांगा गया कि तीनाें में सबसे उपयुक्त काैन सी जमीन है। इस पर परशुरामचक की जमीन का प्रस्ताव भेजा था। लेकिन बाद में इसे टीम ने खारिज कर दिया।

एक्सपर्ट व्यू

यूनिवर्सिटी खुलने से शाेध काे मिलेगा बढ़ावा

टीएमबीयू के पूर्व वीसी प्राे. एलसी साहा ने कहा कि सेंट्रल यूनिवर्सिटी खुलने से न सिर्फ कहलगांव बल्कि भागलपुर और आसपास के जिलाें का विकास हाेगा। अंतरराष्ट्रीय स्तर के छात्र आएंगे। इससे टूरिज्म काे भी बढ़ावा मिलेगा। राजस्व भी बढ़ेगा। सड़कें सुधरेंगी और यातायात के साधन बढ़ेंगे। चुनिंदा काेर्स की पढ़ाई हाेगी। जैसे टूरिज्म, इनवायरमेंटल साइंस, एनसिएंट इंडियन हिस्ट्री वगैरह। शाेध के काम ज्यादा हाेंगे। टीएमबीयू और बीएयू भी इससे जुड़कर रिसर्च और प्राेजेक्ट वर्क काे बढ़ावा दे सकेंगे।

जल्द भेजी जाएगी डिटेल रिपाेर्ट

कहलगांव में केंद्रीय विश्वविद्यालय के लिए केंद्रीय टीम ने नई जगह के लिए कुछ बिंदुओं पर रिपाेर्ट मांगी है। इसके लिए डिटेल रिपाेर्ट जल्द ही भेजी जाएगी।

-सुब्रत कुमार सेन, डीएम

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *