New Delhi: कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती है, ये साबित कर दिखाया है दिहाड़ी मजदूर की बेटी श्रीधन्या सुरेश ने। UPSC की परीक्षा को सबसे चुनौतीपूर्ण माना जाता है। इस परीक्षा में लाखों लोग अपनी किस्मत आजमाते हैं, लेकिन कुछ ही लोगों का सपना पूरा हो पाता है। आज हम आपको एक ऐसी लड़की की कहानी बताएंगे जिन्होंने अपनी मेहनत के दम पर आईएएस जैसी कठिन परीक्षा पास की। आज उनकी कहानी हर किसी को प्रेरित कर रही है।

श्रीधन्या केरल की राजधानी तिरुवंतपुरम से 442 किलोमीटर दूर एक गांव से आती हैं। साल 2018 में वह एक मजदूर की बेटी के नाम से पहचानी जाती थीं, लेकिन आज वो एक आईएएस अधिकारी हैं। श्रीधन्या के पिता ने बाजार में धनुष और तीर बेचकर बेटी को पढ़ाया। आज वह पिता के आशीर्वाद और सच्ची लगन से इस मुकाम पर हैं।
श्रीधन्या के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। उनका बचपन गरीबी में बीता। लेकिन उन्होंने पैसों को अपने सपनों के बीच नहीं आने दिया। सच्ची लगन से मेहनत की। पढ़ाई के लिए उन्होंने कलर्क और हॉस्टर वॉर्डन का भी काम किया। हालांकि, इनके सपनों को उस वक्त पर लगे जब उन्होंने साल 2018 में सिविल सेवा में 410 रैंक हासिल किया। परीक्षा पास करने के बाद उनका नाम जब इंटरव्यू में आया तब उनके सामने एक ऐसी समस्या उत्पन्न हुई, जिससे निकलना उनके जीवन में सबसे कठिनाई का पल था।

इंटरव्यू के लिए उन्हें दिल्ली जाना था, लेकिन दिल्ली जाने के पैसे नहीं थे। श्रीधन्या की स्थिति देखकर उनके दोस्तों ने मदद की और चंदा जुटाकर उन्हें दिल्ली साक्षात्कार के लिए भेजा। तब जाकर उन्होंने यह परीक्षा पास की और आज IAS के पद पर हैं। बेटी को इस मुकाम तक पहुंचाने में उनके पिता का बहुत बड़ा योगदान है। जिनके पिता दिहाड़ी मजदूर हो, जिनका घर भी ठीक से बना ना हो, जिसके पास किराया देने के भी पैसे ना हो वो लड़की अपने लगन से आज आईएएस ऑफिसर है, जो वाकई देश में मिसाल है।