सेफ्टी पिन से हमारा पुराना नाता रहा है. इस छोटी सी पिन ने बहुत बड़े-बड़े काम किए हैं. बैग की ज़िप खराब हो, पैंट का बटन टूट जाए, महिलाओं के दुपट्टे या साड़ी के पल्लू को सरकरने से बचाना हो, ऐसे बहुत से काम करती रही है ये छोटी सी सेफ़्टी पिन. इसे देखने पर कभी तो ये बात दिमाग में आती ही होगी कि आखिर ये छोटी मगर शानदार चीज किसने, कब और क्यों बनाई होगी? अगर आपको भी ये सवाल परेशान करता है तो चलिए हम आपकी परेशानी दूसर करते हैं और सेफ़्टी पिन से जुड़ी हुई कुछ खास बातें बताते हैं:

29 जुलाई 1796 को जन्मे वाल्टर हंट नामक मकैनिक और आविष्कारक ने 1849 में सेफ्टी पिन बनाई थी. वाल्टर हंट को सिर्फ सेफ़्टी पिन ही नहीं बल्कि पेन, स्टोन, चाकू की धार तेज करने वाले औजार, स्पिनर और सिलाई मशीन आदि का आविष्कार करने के लिए भी जाना जाता है. 

वाल्टर हंट को लेकर ये बात काही जाती है कि कर्जे की मार ने उन्हें बहुत सी चीजों का आविष्कारक बना दिया था. माना जाता है कि उनके ऊपर काफी कर्ज था. वह उस कर्ज को उतारने के लिए नए नए आविष्कार करते थे. इन्हीं आविष्कारों में एक आविष्कार सेफ्टी पिन भी था. 

इस छोटी सी पिन के आविष्कार को लेकर एक कहानी भी प्रचलित है. कहा जाता है कि वाल्टर ने ये सेफ़्टी पिन अपनी पत्नी के लिए बनाई थी. उनकी पत्नी की ड्रेस में लगे हुए बटन बार बार टूट जाते थे. इससे वो काफी परेशान थीं. पत्नी की परेशानी दूर करने के लिए वाल्टर ने एक तार से नया जुगाड़ तैयार किया. ये जुगाड़ ड्रेस में ऐसे बटन का काम करता था जो जल्दी नहीं टूटता. इस जुगाड़ को देखते हुए उन्होंने सेफ्टी पिन बनाई और उसे ड्रेस पिन का नाम दिया. मतलब कि सेफ़्टी पिन का पहला और असली नाम ड्रेस पिन ही है.

इसे बनाने के बाद वाल्टर हंट ने पाया कि ये बड़े काम की चीज है. उनके इस आविष्कार की मांग भी होने लगी. ऐसे में उन्होंने उस समय इसके पेटेंट 400 डॉलर में बेच दिए. 

कहा जाता है कि सेफ़्टी पिन से लोगों की उंगलियां जो पहले तयार से कट जाती थीं वह अब सुरक्षित रहने लगीं. इस पिन्स ने उंगलियों की इंजरी काफी कम कर दी थी. यही वजह रही कि इसे सेफ्टी पिन कहा जाने लगा. 

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