स्कूलों में अतिरिक्त कमरों, क्षतिग्रस्त भवनों की मरम्मित, शौचालय निर्माण आदि कार्यों में तेजी लाने को लेकर शिक्षा विभाग ने जिलों को दिशा-निर्देश जारी किया है।
इसमें विभाग ने साफ किया है कि पांच लाख तक के कार्य को लेकर किसी से भी तकनीकी स्वीकृति की जरूरत नहीं है। स्कूल के प्रधानाध्यापक स्वयं इसकी प्रशासनिक स्वीकृति देकर पांच लाख तक के काम करा सकते हैं।
प्रधानाध्यापक स्थानीय स्तर पर तीन संवेदकों से कोटेशन प्राप्त करेंगे। इनमें से जो भी कम राशि में तैयार होंगे, उस एजेंसी से काम करा सकेंगे।
पांच लाख तक के कार्य के लिए प्रधानाध्यापक को किसी से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होगी। वहीं, पांच लाख से 15 लाख के कार्य में संबंधित जिला शिक्षा पदाधिकारी से तकनीकी स्वीकृति ली जाएगी।
वहीं, 50 लाख तक की तकनीकी स्वीकृति
बीईपी-आधारभूत संरचना निगम के अभियंता 50 लाख से अधिक की योजना पर निगम से तकनीकी स्वीकृति लेना अनिवार्य होगा।
कहा गया है कि स्कूल स्तर पर बहुत से छोटे-छोटे काम जैसे शौचालयों की मरम्मति, मध्याह्न भोजन के लिए रसोई घर का निर्माण, अपूर्ण कमरों को पूरा करना, चहारदीवारी, प्रीफैम स्ट्रक्चर पर आधारित निर्माण अधूरे रहते हैं, या समय पर पूरा नहीं हो पाते हैं।