नवगछिया प्रखंड के रंगरा क्षेत्र के तीनटंगा दियारा उत्तर में गंगा नदी का भीषण कटाव जारी है। बीते दस दिनों से गंगा की धारा तेजी से गांव की ओर बढ़ रही है, जिससे ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। कटाव की विभीषिका इतनी भयावह हो चुकी है कि अब तक 24 परिवारों के घर पूरी तरह गंगा में विलीन हो चुके हैं, जबकि 16 परिवारों के घरों में बड़ी दरारें और झुकाव आ चुका है। लोग दिन-रात अपने घरों और सामान को बचाने में जुटे हुए हैं। कई परिवार अपने आशियाने उजड़ने के बाद खुले आसमान तले जीवन बिताने को मजबूर हैं।
ग्रामीणों के अनुसार, गंगा नदी की तेज धारा के कारण मिट्टी लगातार धंस रही है और हर घंटे जमीन का कुछ हिस्सा नदी में समा रहा है। जिन परिवारों के घर पूरी तरह नदी में समा चुके हैं, उनमें बलराम मंडल, लाल बहादुर मंडल, उमेश मंडल, पवन मंडल, रामदास, गंगादास, कबीर मंडल, संभू मंडल, ओमप्रकाश मंडल, संजय मंडल, राजकिशोर मंडल, मंगल मंडल, अरविंद मंडल, दुर्गा मंडल, चंदन मंडल, बलवीर मंडल, महेंद्र मंडल, सुशील मंडल, कुशी मंडल, अरुण मंडल, नरेश मंडल, चुन्नी मंडल उर्फ किशन मंडल, बालेसर चौधरी और धर्मी चौधरी शामिल हैं। ये सभी अब बेघर हो चुके हैं और अपने परिवार के साथ सुरक्षित स्थानों की तलाश में हैं।
वहीं, जिनके घरों में दरारें और झुकाव आ चुका है, उनमें शंकर रजक, नूनू लाल मंडल, दिलीप मंडल, प्रभाष मंडल, अमिक मंडल, मुजी मंडल, राजेश मंडल, विजय मंडल, हीरालाल मंडल, मनोज मंडल, पूरन मंडल, वेदानंद दास, नीतीश कुमार, जौली मंडल, महेंद्र मंडल और माखन मंडल के नाम शामिल हैं। इन परिवारों ने भी अपना सामान सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना शुरू कर दिया है ताकि किसी अप्रिय घटना से बचा जा सके।
स्थानीय लोगों ने बताया कि तीनटंगा दियारा के जिस इलाके में कटाव हो रहा है, वहां 50 मीटर लंबे बोल्डर पिचिंग क्षेत्र में भी मिट्टी धंस रही है। इससे कटाव रोधी कार्य की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो गए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यदि विभाग ने समय रहते प्रभावी कदम नहीं उठाए तो आने वाले दिनों में पूरा दियारा गंगा के आगोश में चला जाएगा।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए ग्रामीणों ने प्रशासन और बाढ़ नियंत्रण विभाग से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि यह केवल प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि लापरवाही का परिणाम भी है, क्योंकि हर साल इस इलाके में कटाव होता है लेकिन कोई स्थायी समाधान नहीं निकल पाता।
स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी मौके पर पहुंचकर स्थिति का निरीक्षण किया है और प्रभावित परिवारों की मदद के लिए प्रशासन से त्वरित कदम उठाने की बात कही है। हालांकि, अब तक प्रशासन की ओर से राहत या बचाव शिविर की कोई व्यवस्था नहीं की गई है, जिससे लोगों में आक्रोश व्याप्त है। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक प्रशासन सक्रिय रूप से हस्तक्षेप नहीं करेगा, तब तक गंगा के कहर से तीनटंगा दियारा को बचाना असंभव होगा।
गंगा के कटाव से तीनटंगा दियारा का भूभाग तेजी से सिकुड़ता जा रहा है। एक तरफ लोग अपने जीवन की कमाई नदी में बहते देख रहे हैं, वहीं दूसरी ओर प्रशासन की चुप्पी से उनका भरोसा भी डगमगा रहा है। ग्रामीणों की एक ही मांग है — “हमारे गांव को बचाओ, वरना सब कुछ नदी ले जाएगी।”

