कहते हैं कि ऊपर वाला जो लिख देता है, उसे कोई नहीं बदल सकता। किस्मत कब, किसे, कहां और कैसे आजमा ले, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल होता है। ऐसा ही एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है बिहार के बांका जिले से, जहां शादी की खुशियां मातम में बदल गईं। दुल्हन सज-धज कर अपने जीवनसाथी के आने का इंतजार कर रही थी, घर में रौनक थी, ढोल-नगाड़े बज रहे थे, लेकिन तभी एक ऐसी घटना घटी, जिससे सब कुछ थम सा गया।
यह घटना बांका जिले के शंभूगंज प्रखंड अंतर्गत विरनौधा गांव की है। यहां के निवासी सपना कुमारी की शादी भागलपुर जिले के शाहकुंड प्रखंड के दिनदयालपुर गांव के रहने वाले विभाष कुमार के साथ तय हुई थी। दोनों परिवारों में हर्षोल्लास का माहौल था। सारी रस्में निभाई जा चुकी थीं। रिश्तेदारों की भीड़ और शादी की चहल-पहल पूरे गांव में देखी जा रही थी। दुल्हन अपने दूल्हे का इंतजार कर रही थी। तभी खबर आई जिसने सब कुछ बदल कर रख दिया।
दरअसल, बारात निकलने से ठीक पहले विभाष कुमार के दादा सुरेश मंडल को दिल का दौरा पड़ा। उन्हें आनन-फानन में अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। यह खबर सुनते ही दूल्हे के घर में कोहराम मच गया। जहां कुछ ही पलों पहले ढोलक की थाप सुनाई दे रही थी, वहीं अब चीख-पुकार और सन्नाटा पसर गया।
दूल्हे के परिवार के लिए यह क्षण किसी भयानक सपने जैसा था। घर में एक ओर दूल्हा शादी की तैयारी कर रहा था, तो दूसरी ओर उसके दादा की अर्थी उठ रही थी। यह मंजर देखकर हर कोई स्तब्ध रह गया। शादी के सारे आयोजन रोक दिए गए। जो रिश्तेदार शादी में शामिल होने आए थे, वे अब अंतिम संस्कार की तैयारियों में लग गए। घर की सजावट, लाइटिंग और बाजा—सब बंद हो गया। खुशियों से भरा माहौल अचानक मातम में तब्दील हो गया।
वहीं, दुल्हन के घर में भी इस खबर के बाद गम का माहौल बन गया। सपना कुमारी जो दुल्हन के जोड़े में दूल्हे का इंतजार कर रही थी, वह भी इस खबर को सुनकर सदमे में चली गई। लड़की के परिजनों ने स्थिति को समझते हुए धैर्य बनाए रखा और किसी तरह दूल्हे के परिवार को ढांढस बंधाया।
ग्रामीणों का कहना है कि सुरेश मंडल पूरी तरह से स्वस्थ थे और शादी को लेकर काफी उत्साहित भी थे। बारात की तैयारियों में वे खुद भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहे थे। किसी को यह अंदाजा नहीं था कि कुछ ही देर बाद ऐसी घटना हो जाएगी जो दोनों परिवारों की खुशियों पर ग्रहण लगा देगी।
इस घटना ने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि जीवन कितना अनिश्चित है। एक तरफ जहां शादी जैसे पावन रिश्ते की शुरुआत होने वाली थी, वहीं दूसरी तरफ एक परिवार ने अपने सबसे बुजुर्ग सदस्य को खो दिया। दोनों परिवार इस सदमे से अभी भी उबर नहीं पाए हैं।
इस हृदयविदारक घटना के बाद यह सवाल उठता है कि क्या अब शादी आगे होगी या नहीं, लेकिन फिलहाल दोनों परिवार इस क्षति से उबरने की कोशिश कर रहे हैं। गांव वालों ने भी इस दुख की घड़ी में पूरा साथ देने की बात कही है।
यह घटना एक बार फिर यह साबित करती है कि इंसान चाहे जितनी भी तैयारियां कर ले, लेकिन ऊपरवाले की मर्जी के आगे किसी की नहीं चलती। जीवन और मौत के इस खेल में इंसान सिर्फ एक कठपुतली बनकर रह जाता है।
