बिहपुर। गुवारीडीह में प्राचीन अवशेष मिलने का सिलसिला लगातार जारी है और इसी क्रम में अब लगभग 1300 वर्ष पुरानी भगवान विष्णु की खंडित प्रतिमा का मिलना पूरे क्षेत्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण खोज मानी जा रही है। विशेषज्ञों के अनुसार यह प्रतिमा पाल काल, अर्थात 8वीं–9वीं शताब्दी की है। प्रतिमा अभय मुद्रा में है तथा एक हाथ में दंड स्पष्ट दिखाई देता है। भगवान विष्णु ने जनेऊ धारण किया हुआ है और इतिहासकारों का अनुमान है कि वे कमल आसन पर विराजमान रहे होंगे। खंडित होने के बावजूद प्रतिमा की नक्काशी और उसकी शिल्पशैली इसके कालखंड का स्पष्ट संकेत देती है।
स्थानीय निवासी अविनाश कुमार उर्फ गंगी दा, जो वर्षों से यहां प्राप्त पुरातात्विक अवशेषों को सुरक्षित रखने का कार्य कर रहे हैं, बताते हैं कि लगभग 20 दिन पूर्व ग्रामीण अमित कुमार उर्फ झूनो चौधरी ने कोसी कटाव प्रभावित कछार क्षेत्र से इस प्रतिमा को बाहर निकाला था। उसी समय मौके पर मौजूद भागलपुर के दो शोधकर्ताओं ने इसे अपने विस्तृत अध्ययन हेतु प्राप्त किया, जिनका शोधकार्य वर्तमान में जारी है।
गुवारीडीह टीले के पुरातात्विक महत्व पर पहले भी लगातार समाचार प्रकाशित होते रहे हैं। इन खबरों का ही प्रभाव था कि 20 दिसंबर 2020 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार स्वयं इस टीले का अवलोकन करने पहुंचे। उनके निर्देश पर इसे कोसी कटाव से बचाने के लिए महत्वाकांक्षी योजना के अंतर्गत कार्य शुरू हुआ और जिला प्रशासन ने गुवारीडीह को संरक्षित क्षेत्र घोषित कर दिया। वर्तमान में यह टीला प्रशासनिक संरक्षण में है, जहां देश-विदेश के शोधकर्ता समय-समय पर अध्ययन हेतु पहुंचते रहते हैं।
हालांकि अब भी टीले से मिले सभी अवशेषों का आधिकारिक संरक्षण कार्य नहीं हो पाया है। अधिकांश प्राचीन अवशेष स्थानीय निवासी गंगी दा के पास सुरक्षित हैं। लगातार मिल रहे पुरातात्विक चिन्ह यह प्रमाणित करते हैं कि गुवारीडीह कभी समृद्ध सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र रहा होगा।
