गोपालपुर। नवगछिया अनुमंडल के डिमाहा गांव में स्थित मां वैष्णवी काली मंदिर आस्था और तांत्रिक परंपरा का अद्भुत प्रतीक है। करीब 200 वर्षों पुराने इस मंदिर का इतिहास गांव की संस्कृति, अध्यात्म और लोक परंपरा से गहराई से जुड़ा हुआ है। यहां की विशेषता यह है कि मां की पूजा बांग्ला और तांत्रिक पद्धति से की जाती है, जो इसे अन्य काली मंदिरों से अलग बनाती है। ग्रामीणों के अनुसार, मां वैष्णवी काली की प्रतिमा विसर्जन में गांव की बेटियां और दामाद विशेष रूप से शामिल होते हैं, जिससे यह पर्व पारिवारिक व सामाजिक एकता का प्रतीक बन जाता है।
मंदिर की शुरुआत लगभग दो शताब्दी पहले डिमाहा दियारा में हुई थी, जब ग्रामीणों ने घास-फूस से बना एक अस्थायी मंदिर स्थापित किया था। उस समय गंगा के किनारे स्थित इस क्षेत्र में पूजा अर्चना बड़े श्रद्धाभाव से होती थी। लेकिन गंगा के कटाव के कारण लगभग 74-75 वर्ष पहले मंदिर को वर्तमान डिमाहा गांव में स्थापित किया गया। इसी स्थान पर मां वैष्णवी काली का स्थायी मंदिर निर्मित हुआ, जो आज श्रद्धालुओं के लिए आशा और विश्वास का केंद्र बना हुआ है।
वर्ष 2014 में नवगछिया शिव शक्ति योग पीठ के पीठाधीश्वर स्वामी आगमानंद जी महाराज के मार्गदर्शन में तथा स्थानीय ग्रामीणों के सहयोग से भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया। वर्तमान में मंदिर की देखरेख पंडित गंगाधर झा करते हैं। उन्होंने बताया कि यह मंदिर विशेष इसलिए भी है क्योंकि यहां “वैष्णवी काली” की उपासना होती है, अतः यहां पशु बलि की परंपरा नहीं है। मां के सभी स्वरूपों—दुर्गा, काली, लक्ष्मी और सरस्वती—की विधिवत पूजा की जाती है।
ग्रामीणों का मानना है कि किसी भी मांगलिक कार्य की शुरुआत से पहले मैया का आशीर्वाद लेना शुभ माना जाता है। लोगों की श्रद्धा है कि मां दक्षिणेश्वर काली गंगा मैया के प्रकोप से गांव की रक्षा करती हैं। मंदिर समिति के अध्यक्ष अजय कुमार चौधरी ने बताया कि नवरात्र और अन्य अवसरों पर भव्य मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें आसपास के क्षेत्रों से हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं। भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठता है।
श्रद्धालुओं का विश्वास है कि मां वैष्णवी काली की चौखट पर पहुंचने के बाद भक्तों के सभी विघ्न दूर हो जाते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। डिमाहा का यह प्राचीन मंदिर आज भी ग्रामीण संस्कृति, भक्ति और लोक परंपरा का जीवंत उदाहरण बना हुआ है।
