भागलपुर के कहलगांव विधानसभा क्षेत्र की राजनीति इन दिनों तेज हो गई है। पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की हालिया जनसभा ने महागठबंधन के भीतर हलचल मचा दी है। गोराडीह प्रखंड के बिरनौध हाई स्कूल खेल मैदान में आयोजित इस सभा ने कांग्रेस खेमे की बेचैनी को और बढ़ा दिया है। दरअसल, कहलगांव विधानसभा सीट पारंपरिक रूप से कांग्रेस के हिस्से में रही है, लेकिन इस बार तेजस्वी यादव के मंच से राजद के संभावित उम्मीदवार के रूप में रजनीश यादव का नाम उभरकर सामने आने से समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं।
इस सभा में तेजस्वी यादव ने बड़ी संख्या में जुटी भीड़ को संबोधित करते हुए कहा कि “रजनीश यादव कोई नेता नहीं, बल्कि कहलगांव का बेटा है, जो सेवा करने आया है।” तेजस्वी के इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। उनके इस इशारे को स्थानीय राजनीति में स्पष्ट संकेत माना जा रहा है कि कहलगांव से इस बार राजद अपना उम्मीदवार उतारने की तैयारी में है।
इसी बात को लेकर कांग्रेस में असंतोष गहराने लगा है। कांग्रेस के मजबूत और संभावित प्रत्याशी माने जाने वाले प्रवीण सिंह कुशवाहा लंबे समय से इस सीट पर दावा ठोकते आ रहे हैं। उनका मानना था कि कहलगांव सीट पर कांग्रेस की परंपरागत पकड़ और संगठनात्मक मजबूती के चलते इस बार भी पार्टी उन्हें टिकट देगी। लेकिन तेजस्वी यादव की सभा और उसमें रजनीश यादव की प्रमुख मौजूदगी ने कांग्रेस खेमे की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।
जानकारों का कहना है कि महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर अंदरूनी मतभेद उभरने लगे हैं। कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मानना है कि यदि कहलगांव सीट राजद को दी गई, तो यह कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका होगा। वहीं राजद खेमे का दावा है कि रजनीश यादव एक युवा, ऊर्जावान और स्थानीय तौर पर लोकप्रिय चेहरा हैं, जिनके नेतृत्व में कहलगांव में पार्टी को मजबूत आधार मिलेगा।
कांग्रेस के स्थानीय नेता यह भी कह रहे हैं कि महागठबंधन में सम्मानजनक तालमेल तभी संभव है जब पारंपरिक सीटों पर पुराने समझौते का सम्मान किया जाए। दूसरी ओर, राजद समर्थकों में तेजस्वी यादव की सभा के बाद जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है। सभा में जुटी भीड़ ने साफ संकेत दिया कि रजनीश यादव को लेकर स्थानीय स्तर पर समर्थन तेजी से बढ़ रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह स्थिति महागठबंधन के लिए चुनौतीपूर्ण बन सकती है। एक तरफ राजद अपने युवा चेहरे को आगे बढ़ाना चाहती है, तो दूसरी ओर कांग्रेस अपनी पुरानी पकड़ छोड़ने को तैयार नहीं दिख रही। अब देखना यह है कि सीट बंटवारे की इस जंग में कौन बाजी मारता है — तेजस्वी यादव की रणनीति या कांग्रेस की परंपरा।
कुल मिलाकर, कहलगांव विधानसभा की राजनीति इन दिनों भागलपुर जिले का सबसे चर्चित मुद्दा बन गई है। तेजस्वी यादव की जनसभा ने जहां कांग्रेस के भीतर बेचैनी बढ़ा दी है, वहीं महागठबंधन के भविष्य को लेकर भी नए सवाल खड़े कर दिए हैं। अब राजनीतिक पर्यवेक्षकों की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि आने वाले दिनों में इस सीट को लेकर कौन सा दल पीछे हटता है और कौन मैदान में मजबूती से डटा रहता है।
