पूर्व मंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे **तेजप्रताप यादव** ने अपने छोटे भाई और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री **तेजस्वी यादव** के चुनावी वादे पर सवाल खड़ा कर राजनीतिक हलकों में नई हलचल पैदा कर दी है।
शनिवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान तेजप्रताप यादव ने कहा, “पहले राजद की सरकार तो बनने दें, फिर नौकरी देने की बात कीजिए।” दरअसल, तेजस्वी यादव ने हाल ही में वादा किया था कि अगर महागठबंधन की सरकार बनती है, तो **हर परिवार से एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी** दी जाएगी। तेजप्रताप के इस बयान को राजद नेतृत्व पर अप्रत्यक्ष हमला माना जा रहा है, जिससे एक बार फिर यादव परिवार के भीतर मतभेद उजागर हो गए हैं।
राजद से निष्कासित किए जाने के बाद तेजप्रताप ने अपनी नई पार्टी **‘जन शक्ति जनता दल’** का गठन किया है। उन्होंने बताया कि पार्टी के उम्मीदवारों की सूची **अगले दो दिनों में जारी की जाएगी**, जिसे उन्होंने “बड़ी घोषणा” करार दिया। तेजप्रताप ने कहा कि उनकी पार्टी युवाओं, किसानों और बेरोजगारों की आवाज़ बनेगी और जनता को एक नया राजनीतिक विकल्प देगी।
जब पत्रकारों ने उनसे पूछा कि क्या उनकी पार्टी का किसी अन्य दल से गठबंधन होगा, तो उन्होंने कहा, “सभी प्रकार की पार्टियों से बात चल रही है, समय आने पर सबको पता चल जाएगा।” माना जा रहा है कि उनकी बातचीत **एआईएमआईएम (AIMIM)** प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी से भी चल रही है, हालांकि तेजप्रताप ने इस पर कोई स्पष्ट टिप्पणी नहीं की।
राजग (NDA) के नेताओं के राजद में शामिल होने के सवाल पर तेजप्रताप ने चुप्पी साध ली, लेकिन इतना जरूर कहा कि “बिहार की राजनीति में आने वाले दिनों में कई चौंकाने वाले मोड़ देखने को मिलेंगे।”
जब पत्रकारों ने पूछा कि वह खुद किस सीट से चुनाव लड़ेंगे, तो उन्होंने तीखे लहजे में कहा, “मैं पहले ही कह चुका हूं कि मैं अपनी पुरानी सीट **महुआ** से ही चुनाव लड़ूंगा।”
तेजप्रताप यादव के इस बयान के बाद बिहार की राजनीति में एक बार फिर भाई-भाई के टकराव की चर्चा तेज हो गई है। एक ओर तेजस्वी यादव महागठबंधन के तहत युवाओं को नौकरी देने के वादे से जनता को आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं तेजप्रताप यादव की नई पार्टी **राजद के पारंपरिक वोट बैंक में सेंध** लगा सकती है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेजप्रताप का यह कदम उनके **राजनीतिक अस्तित्व को बनाए रखने की रणनीति** है और आगामी विधानसभा चुनाव में वे **राजद व एनडीए दोनों के लिए चुनौती** साबित हो सकते हैं।
