भागलपुर में जिला प्राथमिक शिक्षक संघ के बैनर तले प्राथमिक शिक्षकों ने आज शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय के सामने एक दिवसीय आमरण अनशन किया। शिक्षकों का आरोप है कि कई महीनों से उनका वेतन भुगतान नहीं किया जा रहा है। कुछ शिक्षकों को चार महीने से वेतन नहीं मिला है, तो कई को छह महीने से वेतन का भुगतान लंबित है। लगातार वेतन न मिलने के कारण शिक्षक गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं और अपने दैनिक खर्चों को भी पूरा करने में असमर्थता महसूस कर रहे हैं।

 

अनशन पर बैठे शिक्षकों ने साफ चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगों को आज ही पूरा नहीं किया गया, तो वे लोग उग्र आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे। उन्होंने कहा कि वेतन भुगतान में लगातार हो रही देरी और विभागीय अधिकारियों की उदासीनता ने उन्हें इस प्रकार के कदम उठाने के लिए मजबूर किया है। शिक्षक संघ के नेताओं का कहना है कि विभागीय पदाधिकारी उनकी समस्याओं को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं और बार-बार शिकायत करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई।

 

शिक्षकों ने यह भी आरोप लगाया कि अधिकारियों की मनमानी और लापरवाही के कारण शिक्षा व्यवस्था प्रभावित हो रही है। उनका कहना है कि बच्चों के हित में भी यह स्थिति चिंताजनक है क्योंकि शिक्षक अपने व्यक्तिगत आर्थिक संकट के कारण स्कूल में सही ढंग से पढ़ाई कराने में असमर्थ हो रहे हैं। शिक्षक संघ ने प्रशासन से तुरंत वेतन भुगतान करने और लंबित वेतन जल्द से जल्द जारी करने की मांग की है।

 

अनशन के दौरान शिक्षक अपने विचार और समस्याएं साझा करते हुए दिखाई दिए। उन्होंने कहा कि यह आमरण अनशन केवल चेतावनी स्वरूप है और यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो आगामी दिनों में शिक्षक संघ और भी कठोर कदम उठाएगा। इस अनशन में शामिल शिक्षक संघ के सदस्यों ने बताया कि वे लंबे समय से अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं और प्रशासन से निष्पक्ष और त्वरित कार्रवाई की अपेक्षा रखते हैं।

 

इस दौरान क्षेत्रीय पत्रकारों से बातचीत में शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि वे केवल अपने कानूनी अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उनका कहना है कि सरकारी कर्मचारियों का वेतन समय पर न मिलना संविधान के मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन है। शिक्षकों ने उम्मीद जताई कि प्रशासन उनकी समस्याओं को नजरअंदाज नहीं करेगा और जल्द ही सभी लंबित वेतन का भुगतान करेगा।

 

भागलपुर में शिक्षा विभाग के सामने यह आमरण अनशन न केवल शिक्षकों के आर्थिक संकट को उजागर करता है, बल्कि प्रशासन की उदासीनता और लापरवाही की भी पोल खोलता है। शिक्षक संघ का यह कदम यह संदेश देता है कि वे अपने अधिकारों और बच्चों के भविष्य के लिए किसी भी हद तक संघर्ष करने को तैयार हैं।

 

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