सरकारी विद्यालयों में नयी नियमावली के तहत शिक्षकों की भर्ती का खाका (ब्लूप्रिंट) तैयार हो गया है। जून में शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) विज्ञापन निकालने की तैयारी में है।

इस संबंध में शिक्षा विभाग इसी हफ्ते उन्हें रिक्तियों की सूचना भेज देगा। नियुक्ति के लिए आयोजित परीक्षा में नियोजित शिक्षक और नियुक्ति का इंतजार कर रहे शिक्षक अभ्यर्थी, दोनों ही बैठेंगे। नियुक्त होने वाले शिक्षक जिला कैडर के होंगे।

शिक्षा विभाग के पास लगभग सभी जिलों से रिक्तियों की जानकारी आ गयी है। शेष सात जिलों से रिक्तियां आने के बाद अगले दो-तीन दिनों में रिक्तियों की पूरी जानकारी संग्रहित कर शिक्षा विभाग आगे की कार्रवाई शुरू कर देगा। इस क्रम में पदों में नए मानकों के अनुरूप आवश्यक बदलाव किया जाएगा। इसे फिर से रोस्टर के अनुसार तैयार करने के लिए जिलों को भेजा जाएगा। इसके बाद शिक्षा विभाग रिक्तियों को अंतिम रूप देकर नियुक्ति के लिए अधियाचना बीपीएससी को भेज देगा। इसी आधार पर बीपीएससी नियुक्ति के लिए वैकेंसी निकालेगी।

इस समय राज्य में दो लाख से अधिक शिक्षकों की बहाली को लेकर मंथन चल रहा है। इसको लेकर शिक्षा विभाग के आला अधिकारी बीपीएससी के साथ बैठक भी कर चुके हैं। इसमें नियुक्ति की पूरी प्रक्रिया को समझा गया है। अब उसी के अनुरूप विभाग काम कर रहा है। बीपीएससी को रिक्ति भेजने के पहले हर पहलू पर विमर्श किया जा रहा है।

नियुक्ति में 80 हजार प्रारंभिक शिक्षक,1.20 लाख माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षकों के पद शामिल हैं। साथ ही कम्प्यूटर शिक्षक, शारीरिक शिक्षक व गैर शिक्षकेतर कर्मियों के एक लाख पदों पर भी नियुक्ति होनी है। हालांकि शिक्षकों के पद में 10 हजार तक की वृद्धि की संभावना है।

वेतन निर्धारण को लेकर कवायद जारी

नए शिक्षकों की नियुक्ति के वेतन निर्धारण का प्रस्ताव वित्त विभाग के पास विचाराधीन है। इनकी सेवा शर्तों को लेकर सामान्य प्रशासन विभाग से भी विमर्श हो रहा है। नए शिक्षकों का वेतन मौजूदा नियोजित शिक्षकों से 10 से 15 फीसदी तक अधिक हो सकता है। वहां से सहमति मिलने के बाद ही प्रस्ताव को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया शुरू होगी। अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने उच्च विद्यालयों में प्राधानाध्यापक नियुक्ति से संबंधित शेष रिक्त पदों के लिए क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक के स्तर से रोस्टर क्लीयरेंस करने को कहा है।

स्कूलों में बच्चों के पहले हेडमास्टर व रसोइए चखेंगे भोजन

पटना । राज्य सरकार ने सभी विद्यालयों में मध्याह्न भोजन को बच्चों को देने के पहले प्रधानाध्यापक व रसोइए को चखना अनिवार्य बना दिया है। पीएम पोषण योजना निदेशक सतीश चन्द्र झा ने सभी जिलों को इसका अनुपालन सुनिश्चित करने को कहा है। जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों को भेजे पत्र में यह भी कहा कि चखने के आधा घंटे बाद ही भोजन बच्चों को परोसा जाएगा। इसके पहले भोजन चखने वाला व्यक्ति वहां रजिस्टर में भोजन की गुणवत्ता व स्वाद की जानकारी अंकित करेगा। कई शिकायतों के बाद विभाग ने इसे अनिवार्य कर दिया है।

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