भागलपुर जिले के सुल्तानगंज गंगा घाट पर हुए दर्दनाक हादसे के बाद 24 घंटे बीत जाने के बावजूद लापता हुई किशोरी का अब तक कोई सुराग नहीं लग पाया है। **एनडीआरएफ की टीम** गुरुवार सुबह से लगातार गंगा में सर्च ऑपरेशन चला रही है, लेकिन अभी तक सफलता हाथ नहीं लगी है।
घटना बुधवार को उस समय घटी जब **हाजीपुर के सत्यारा चौक निवासी मंतोष शाह की 14 वर्षीय बेटी अंकिता कुमारी** अपनी नानी के घर सुल्तानगंज आई हुई थी। वह अपनी छोटी बहन के साथ गंगा स्नान करने गई थी। नहाने के दौरान अचानक छोटी बहन गहरे पानी में चली गई। अंकिता ने बहन को बचाने की कोशिश की, लेकिन खुद तेज धारा में बह गई। स्थानीय लोगों ने छोटी बहन को तो किसी तरह सुरक्षित बाहर निकाल लिया, लेकिन अंकिता गंगा की लहरों में समा गई।
अंकिता की नानी **निर्मला देवी** ने बताया कि दोनों बहनें एक सप्ताह पहले ही सुल्तानगंज के घाट रोड स्थित घर आई थीं। अंकिता छठी कक्षा की छात्रा थी और अपने पांच भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर थी। उसके पिता **मंतोष शाह पटना में परिवार के साथ किराए के मकान में रहकर चाट बेचने का काम करते हैं।** हादसे की सूचना मिलते ही परिजनों में कोहराम मच गया। परिवार के लोग सुल्तानगंज पहुंच गए हैं और घाट पर लगातार खोजबीन में लगे हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह हादसा प्रशासनिक लापरवाही का परिणाम है। लोगों ने बताया कि घाट पर **कोई सुरक्षा व्यवस्था, चेतावनी बोर्ड या बैरिकेडिंग नहीं** की गई है। केवल एक हफ्ते में यह **दूसरा बड़ा हादसा** है जब कोई गंगा में डूब गया है। इससे पहले **9 अक्टूबर को मुंगेर जिले के जमालपुर निवासी नवनीत कुमार और बिट्टू की सुल्तानगंज मंदिर घाट पर डूबने से मौत हो गई थी।**
लगातार हो रही इन घटनाओं ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय नागरिकों ने कहा कि सुल्तानगंज जैसे धार्मिक स्थल पर जहां प्रतिदिन हजारों लोग स्नान के लिए आते हैं, वहां सुरक्षा व्यवस्था न के बराबर है। उन्होंने मांग की कि **दीपावली, काली पूजा और छठ महापर्व** को देखते हुए घाटों पर सुरक्षा बढ़ाई जाए, गोताखोरों और सुरक्षा कर्मियों की नियमित तैनाती की जाए ताकि भविष्य में इस तरह की दर्दनाक घटनाओं को रोका जा सके।
वहीं प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, एनडीआरएफ और स्थानीय गोताखोरों की टीमें लगातार तलाशी अभियान चला रही हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही अंकिता का पता लगाया जा सकेगा।
स्थानीय निवासियों ने कहा कि जब तक प्रशासन घाटों की सुरक्षा को लेकर ठोस कदम नहीं उठाएगा, तब तक ऐसे हादसे थमने वाले नहीं हैं। हर बार घटना के बाद थोड़े दिनों तक सक्रियता दिखाई जाती है, फिर सबकुछ पहले जैसा हो जाता है।
लगातार हो रही इन घटनाओं ने न केवल परिवारों को गहरे दर्द में डुबो दिया है, बल्कि यह भी साबित कर दिया है कि गंगा घाटों पर सुरक्षा व्यवस्था सिर्फ कागजों तक सीमित है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इन घटनाओं से सबक लेकर क्या ठोस कदम उठाता है या फिर यह भी एक और मामला बनकर रह जाएगा।
