गर्मी के दिनों में दूध का उत्पादन घटने के बावजूद पशुपालकों को घाटा नहीं होगा।

दूध उत्पादन घटने पर होने वाले घाटे की भरपाई सरकार करेगी।

पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने पशुपालकों को प्रति लीटर 3 रुपये अनुदान देने का निर्णय लिया है। यह उन पशुपालकों को मिलेगा, जिन्होंने दुग्ध सहकारी समिति के जरिए दूध बेचा है।

वर्ष 2023 में अप्रैल से जून के बीच दूध बेचने वाले पशुपालकों के लिए विभाग ने करीब दस करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं।

इससे गर्मी के महीनों में सहकारी दुग्ध समितियों में दूध की आपूर्ति करने वाले पशुपालकों को अनुदान दिया जाएगा।

काम्फेड के अधीन विभिन्न दुग्ध संघों, डेयरी इकाइयों द्वारा दुग्ध सहकारी समितियों के जरिए दूध संग्रह किया जाता है।

समितियों के जरिए ही अनुदान राशि पशुपालकों को मिलेगी।

पशुपालकों को अप्रैल से जून के बीच 91 दिनों का भुगतान किया जाना है। इस दौरान समितियों के जरिए औसतन प्रतिदिन 3.66 लाख लीटर दूध की आपूर्ति हुई है।

इस पर 3 रुपये प्रति लीटर की दर से अधिक भुगतान करने पर नौ करोड़ 99 लाख 99 हजार रुपये खर्च होंगे।

पशुपालकों को अनुदान का भुगतान डीबीटी के तहत उनके खाते में किया जाएगा। राज्य में अभी 8 दुग्ध संघ हैं। इनसे करीब 27 हजार दुग्ध समितियां जुड़ी हुई हैं।

शादी-ब्याह के मौसम में भी स्थानीय खपत बढ़ जाती है। इस कारण समितियों का दूध संग्रह गिरने की आशंका रहती है।

कॉम्फेड को दूध संग्रह लगातार बना रहे, इसीलिए पशुपालन विभाग ने अनुदान देने का निर्णय लिया है।

उत्पादन में होगी वृद्धि

पशुपालन विभाग का मानना है कि अनुदान मिलने पर दूध उत्पादन में वृद्धि होगी।

गर्मी के दिनों में घाटा होने के चलते ही कई लोग दूध व्यवसाय छोड़ देते हैं।

अनुदान योजना से नए युवा डेयरी व्यवसाय में आगे आने को प्रोत्साहित होंगे।

क्यों लिया गया अनुदान देने का फैसला

गर्मी के दिनों में तापमान बढ़ने के बाद हरे चारे की कमी हो जाती है। इससे दुधारू पशुओं को खिलाने में राशन पर होने वाला खर्च बढ़ जाता है।

हरे चारे की कमी के चलते दूध उत्पादन भी घट जाता है। इस तरह पशुपालकों पर दोहरी मार पड़ती है। आय कम हो जाती है और खर्च बढ़ जाता है। अनुदान से इसकी भरपाई होगी।

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