भागलपुर के तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (TMBU) में शनिवार को उस वक्त हंगामा मच गया, जब बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं परीक्षा नियंत्रक कार्यालय पहुंचकर आक्रोशित हो गए। छात्रों का नेतृत्व अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के छात्र नेता कुणाल पांडे कर रहे थे। छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर इंटरनल मूल्यांकन में गंभीर अनियमितता का आरोप लगाते हुए परीक्षा नियंत्रक डॉ. कृष्ण कुमार का घेराव किया और विरोध प्रदर्शन किया।

छात्रों का कहना है कि मारवाड़ी कॉलेज में इंटरनल परीक्षा के नाम पर छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। कई छात्र-छात्राओं को जानबूझकर आधे या एक नंबर से फेल कर दिया गया है, जो कि पूरी तरह से अन्यायपूर्ण है। कुणाल पांडे ने आरोप लगाया कि इंटरनल परीक्षा आयोजित करने वाले शिक्षकों को न तो स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए गए थे और न ही विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से कोई ठोस गाइडलाइन जारी की गई। ऐसे में मूल्यांकन प्रक्रिया पूरी तरह अराजक और मनमानी तरीके से की गई।
उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि जब पासिंग मार्क 13.5 तय किया गया है, तो आधा नंबर काटकर किसी छात्र को 13 नंबर देकर फेल कर देना न केवल गलत है, बल्कि यह छात्रों की मेहनत और भविष्य के साथ क्रूर मजाक है। इतना ही नहीं, प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने यह भी आरोप लगाया कि कई ऐसे छात्र-छात्राएं हैं जिन्होंने परीक्षा में हिस्सा लिया था, फिर भी उन्हें मार्कशीट में “एब्सेंट” दिखा दिया गया है।
इससे न सिर्फ छात्रों के रिजल्ट पर असर पड़ा है, बल्कि उनकी मानसिक स्थिति पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। कई छात्र तनाव में हैं और कुछ ने तो डिप्रेशन में जाने की बात तक कही है। प्रदर्शनकारियों ने यह स्पष्ट किया कि वे किसी भी कीमत पर इस अन्याय को स्वीकार नहीं करेंगे।
छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन से तीन मुख्य मांगें रखीं:
1. इंटरनल मार्क्स की निष्पक्ष दोबारा जांच कराई जाए।
2. जिन छात्रों को अनुपस्थित दर्शाया गया है, उनकी परीक्षा कॉपियों की जांच कर वास्तविक उपस्थिति सत्यापित की जाए।
3. इस पूरे मामले में जिन शिक्षकों या अधिकारियों की लापरवाही या मनमानी सामने आए, उन पर कठोर कार्रवाई की जाए।
इस दौरान परीक्षा नियंत्रक डॉ. कृष्ण कुमार ने प्रदर्शनकारी छात्रों की बातों को गंभीरता से सुना और उन्हें मामले की जांच का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि छात्रों के हितों की अनदेखी नहीं की जाएगी और अगर कोई अनियमितता पाई जाती है तो उस पर निश्चित रूप से कार्रवाई होगी।
हालांकि छात्रों ने चेतावनी दी है कि यदि समय रहते विश्वविद्यालय प्रशासन कोई ठोस कदम नहीं उठाता है और दोषियों पर कार्रवाई नहीं होती, तो आंदोलन को और उग्र किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में वे विश्वविद्यालय गेट को जाम कर सकते हैं और भूख हड़ताल जैसे कठोर कदम भी उठा सकते हैं।
छात्र नेता कुणाल पांडे ने कहा कि यह आंदोलन सिर्फ नंबरों के लिए नहीं, बल्कि विश्वविद्यालय की लचर व्यवस्था और छात्रों के भविष्य की सुरक्षा के लिए है। अगर आज आवाज नहीं उठाई गई, तो आगे आने वाली पीढ़ियों को भी इसी अन्याय का सामना करना पड़ेगा।
छात्रों का यह प्रदर्शन विश्वविद्यालय प्रशासन के लिए एक चेतावनी है कि अब उन्हें जवाबदेही तय करनी होगी और शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता लानी होगी। वरना छात्रों का आक्रोश विश्वविद्यालय की साख को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।
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