बिहार के गयाजी में वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन पर हुई पत्थरबाजी की घटना ने एक बार फिर रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह घटना 21 मई को वाराणसी-रांची वंदे भारत एक्सप्रेस (गाड़ी संख्या 20888 डीएन) पर उस समय हुई, जब ट्रेन गयाजी के काष्ठा और वेस्ट केबिन के मध्य से गुजर रही थी। इस हमले में ट्रेन के इंजन के शीशे क्षतिग्रस्त हो गए थे। घटना के बाद यात्रियों में अफरा-तफरी मच गई और रेलवे प्रशासन हरकत में आया।
इस मामले में रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने त्वरित कार्रवाई करते हुए तीन युवकों को गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तार किए गए युवकों की पहचान सौरभ कुमार, मुन्ना कुमार और नितिन राज के रूप में हुई है। ये तीनों युवक गया जिले के चंदौती थाना क्षेत्र अंतर्गत शेरपुर गांव के निवासी बताए जा रहे हैं। तीनों की उम्र मात्र 18 वर्ष है। आरपीएफ ने सीसीटीवी फुटेज की मदद से इनकी पहचान की और फिर विशेष टीम गठित कर छापेमारी कर इनकी गिरफ्तारी सुनिश्चित की गई।
घटना स्थल काष्ठा और वेस्ट केविन के बीच किलोमीटर संख्या 475/26 के पास स्थित है, जहां ट्रेन के गुजरते वक्त पत्थरबाजी की गई थी। यह घटना संध्या समय हुई थी, जब ट्रेन तेज गति से गुजर रही थी। इससे यह भी प्रतीत होता है कि हमला पूर्व नियोजित साजिश के तहत किया गया था। आरपीएफ इंस्पेक्टर राम सुमेर के अनुसार, वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को निशाना बनाने की यह पहली घटना नहीं है। पूर्व में भी इस प्रकार की घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें ट्रेन पर जानबूझकर हमला किया गया।
घटना के तुरंत बाद रफीगंज आरपीएफ थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। इसके बाद विशेष जांच टीम का गठन किया गया, जिसमें इंस्पेक्टर राम सुमेर, उप निरीक्षक इंदल कुमार मंडल सहित अन्य अधिकारी शामिल थे। सीसीटीवी फुटेज के गहन विश्लेषण के बाद तीन युवकों की पहचान की गई और फिर सटीक सूचना के आधार पर छापेमारी कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। तीनों से पूछताछ की जा रही है और यह जानने का प्रयास किया जा रहा है कि क्या इनके पीछे कोई अन्य व्यक्ति या समूह भी सक्रिय था।
रेलवे प्रशासन इस घटना को गंभीरता से ले रहा है और यह सुनिश्चित करने में जुटा है कि भविष्य में इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों। वंदे भारत एक्सप्रेस, जिसे भारत की सबसे आधुनिक ट्रेनों में से एक माना जाता है, पर बार-बार इस प्रकार के हमले चिंता का विषय हैं। इससे न केवल रेल संपत्ति को नुकसान होता है, बल्कि यात्रियों की जान भी खतरे में पड़ती है। साथ ही इससे रेलवे की छवि और यात्रियों के विश्वास पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
आरपीएफ अधिकारी राम सुमेर ने मीडिया को बताया कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए निगरानी और गश्त बढ़ाई जा रही है। ट्रेन के रूट पर स्थित संवेदनशील स्थानों की पहचान की जा रही है और वहां सुरक्षा बलों की तैनाती पर भी विचार किया जा रहा है। इसके अलावा, स्थानीय लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाने की योजना है, जिससे वे समझ सकें कि इस प्रकार की हरकतें कितनी गंभीर और घातक हो सकती हैं।
इस घटना के बाद रेलवे मंत्रालय और स्थानीय प्रशासन से यह अपेक्षा की जा रही है कि वे ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए दीर्घकालिक समाधान निकालें। साथ ही, दोषियों के विरुद्ध कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए, जिससे भविष्य में कोई ऐसी हरकत करने की हिम्मत न कर सके।
गौरतलब है कि वंदे भारत एक्सप्रेस न केवल भारतीय रेलवे की तकनीकी उन्नति का प्रतीक है, बल्कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘मेक इन इंडिया’ पहल का भी एक उदाहरण है। इस ट्रेन को लगातार निशाना बनाया जाना कहीं न कहीं इस पहल के खिलाफ असामाजिक तत्वों की मानसिकता को भी उजागर करता है।
फिलहाल, तीनों युवकों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस पूछताछ कर रही है और यह जानने की कोशिश की जा रही है कि क्या इस घटना के पीछे कोई संगठित साजिश है या यह केवल एक शरारत थी जो गंभीर अपराध में बदल गई। पुलिस की जांच और अदालत की प्रक्रिया के बाद ही सच्चाई पूरी तरह सामने आ सकेगी।
रेल प्रशासन और आरपीएफ की त्वरित कार्रवाई सराहनीय है, लेकिन इस तरह की घटनाओं को जड़ से समाप्त करने के लिए प्रशासन, पुलिस और समाज को एक साथ मिलकर काम करना होगा। यात्रियों की सुरक्षा सर्वोपरि है और उसके लिए हरसंभव कदम उठाना आज की आवश्यकता बन चुका है।