बिहार के नवगछिया क्षेत्र में कोसी नदी के दांये तट पर स्थित सहोरा और मदरौनी स्थलों पर कराए गए क्रेटेड बोल्डर पीचिंग कार्य में गड़बड़ी पाए जाने के मामले में बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल के छह अभियंताओं को राहत नहीं मिली है। इन अभियंताओं पर न्यून कार्य कराकर अधिक भुगतान करने और जीआई वायर क्रेट का अनावश्यक भुगतान करने का गंभीर आरोप है। विभागीय जांच और विशेष जांच दल की रिपोर्ट के आधार पर अभियंताओं को दोषी मानते हुए पहले ही निलंबन की कार्रवाई की जा चुकी है और अब उनके विरुद्ध की गई विभागीय सजा भी बरकरार रखी गई है।
यह मामला वर्ष 2016 के बाढ़ से पूर्व मदरौनी ग्राम के समीप कराए गए कटाव निरोधक कार्य से जुड़ा है। जांच में सामने आया कि कार्य की गुणवत्ता और मात्रा में गड़बड़ी करते हुए सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया। विशेष जांच दल के अध्यक्ष द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुपालन में भी अभियंताओं ने जानबूझकर विलंब किया। प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने पर विभाग ने तत्कालीन कार्यपालक अभियंता अवधेश कुमार झा, सहायक अभियंता विनय कुमार गुप्ता और रामस्वरूप रजक, कनीय अभियंता सुमन सौरव, दिलीप कुमार और मनोरंजन प्रसाद को निलंबित कर दिया।
इन अभियंताओं पर अनुशासनात्मक कार्यवाही चलाकर विभाग ने उनकी वार्षिक वेतनवृद्धि (इंक्रीमेंट) को भी रोक दिया। इसके अतिरिक्त, निलंबन की अवधि में इन्हें केवल जीवन यापन भत्ता देने का निर्णय लिया गया, अन्य कोई वित्तीय लाभ नहीं दिया जाएगा। विभाग की सख्ती से स्पष्ट संकेत मिलता है कि अब सरकारी परियोजनाओं में भ्रष्टाचार और लापरवाही को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
बाढ़ नियंत्रण जैसे संवेदनशील कार्यों में तकनीकी और वित्तीय अनुशासन का पालन अत्यंत आवश्यक होता है, क्योंकि यह न केवल सरकारी संसाधनों की बर्बादी का प्रश्न है, बल्कि इससे आम जनता की जान-माल को भी खतरा उत्पन्न हो सकता है। इस घटना ने एक बार फिर सरकारी तंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता को उजागर किया है।
यह निर्णय अन्य अभियंताओं और अधिकारियों के लिए भी एक चेतावनी है कि यदि कार्य में लापरवाही या भ्रष्टाचार पाया गया, तो कठोर विभागीय कार्रवाई से कोई नहीं बच सकेगा। बाढ़ नियंत्रण विभाग ने यह स्पष्ट कर दिया है कि परियोजनाओं की गुणवत्ता से समझौता करने वालों पर शिकंजा कसना अब उसकी प्राथमिकता में शामिल है।