आज अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती है. आज वह होते तो अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर को बनता देख काफी खुश होते. 22 जनवरी 2024 को अपने जन्मस्थान पर बने भव्य मंदिर में श्रीराम विराजमान होंगे. करीब तीन दशक पहले जब उन्होंने गठबंधन सरकार बनाई तो राम मंदिर, 370 समेत कई महत्वपूर्ण मुद्दों को छोड़ते हुए उन्होंने कहा था कि हमें बहुमत का इंतजार रहेगा. 2014 में भाजपा को बहुमत मिला तो एक-एक कर अटल के वो सपने पूरे होते गए. उन्होंने संसद से स्पष्ट संकेत दे दिया था कि जब भी उनकी पार्टी को जनता बहुमत देगी, ये काम होकर रहेंगे. राम मंदिर पर उन्होंने एक बार बहुत दिलचस्प किस्सा सुनाया था. वाजपेयी ने अपने अफगानिस्तान दौरे का जिक्र करते हुए बताया कि मुझे जिस होटल में ठहराया गया था उसका नाम था कनिष्क. अफगानिस्तान एक मुस्लिम देश है. मुझे बड़ा ताज्जुब हुआ कि कनिष्क यहां कहां से आया? 

वाजपेयी ने बताया कि मेरे साथ अफगानिस्तान के विदेश मंत्री थे, मैंने उनसे पूछ लिया कि कनिष्क आपका कौन लगता है? कनिष्क से आपका क्या संबंध है? कहने लगे- कनिष्क हमारा पूर्वज है, कनिष्क हमारा पुरखा है. वह हमारे पूर्वजों में से एक थे. मैंने कहा तब तो हमारे आपके पुरखे एक हैं. अफगानिस्तान के लोगों ने उपासना पद्धति बदली है, संस्कृति नहीं बदली. आज के भारत के परिवेश में ये सुनने के बाद थोड़ा विचित्र लगता है. हमारे यहां तो धर्मांतरण के साथ राष्ट्रांतरण होता है. ऐसा दृश्य दिखाई देता है… पड़ोसी देशों में ऐसा नहीं हुआ है. 

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