श्रीशिवशक्ति योगपीठ नवगछिया के पीठाधीश्वर स्वामी आगमानंद जी महाराज ने कहा कि किसान मानव को अन्न देते हैं तो ऋषि मानव को ज्ञान देते हैं।
दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। किसान तपके अन्न पैदा करते हैं तो संत तप करके ज्ञान व सिद्धि पाते हैं।
रविवार को तिलकामांझी स्थित कृषि कार्यालय भवन के आत्मा प्रशिक्षण केंद्र के कक्ष में भारतीय संस्कृति के मूल तत्व ऋषि और कृषि विषय पर संगोष्ठी के दौरान उन्होंने कहा कि किसान भी संत हैं और संत भी किसान।
भारत विश्व गुरु इसलिए है कि यहां की संस्कृति काफी प्राचीन है।
यहां लोग आपसी सौहार्द के साथ जीते हैं। उन्होंने कहा कि संत और किसान हमेशा देश के लिए समर्पित हैं। उन्होंने इस आयोजन को जागृत युवा समिति और आस्था को धन्यवाद दिया।
कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन दिलीप शास्त्रि ने किया। आत्मा के उपपरियोजना निदेशक प्रभात कुमार सिंह ने सभी अतिथियों का स्वागत किया।
उद्घाटनकर्ता करते हुए बीएयू के प्राध्यापक एवं पौधा प्रजनन एवं अनुवंशकी विभाग के अध्यक्ष पीके सिंह कहा कि देश की समृद्धि में ऋषि और कृषि दोनों का योगदान रहा है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अररिया कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय कृषि वैज्ञानिक डा. विनोद कुमार ने कहा कि कृषि कार्य को बेहतर बनाने पर जोर दिया ।
जिला कृषि पदाधिकारी अजय कुमार यादव, संजय सिंह, बीएयू के कृषि मौसम वैज्ञानिक डा. सुनील कुमार व गीतकार राजकुमार थे।
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