बिहार के सहरसा जिले में कानून के रखवाले ही कानून तोड़ते नजर आ रहे हैं। बैजनाथपुर थाना के तत्कालीन थानाध्यक्ष अमर ज्योति पर मधेपुरा जिले के एक युवक से जबरन वसूली, मारपीट और धमकी देने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। आरोप सही पाए जाने पर सहरसा एसपी के निर्देश पर आरोपी थानाध्यक्ष के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इसके साथ ही उनके सरकारी आवास को सील कर दिया गया है। इस गंभीर मामले की जांच का जिम्मा सिमरी बख्तियारपुर के एसडीपीओ मुकेश कुमार ठाकुर को सौंपा गया है।
**क्या है पूरा मामला?**
मधेपुरा जिले के परमानंदपुर पथराहा निवासी अविनाश कुमार, जो पटना में रहकर बीपीएससी की तैयारी कर रहे हैं, ने सहरसा एसपी को दिए आवेदन में आपबीती साझा की। उन्होंने बताया कि तीन मई को वह राज्यरानी ट्रेन से पटना से सहरसा पहुंचे और मधेपुरा जाने के लिए प्लेटफॉर्म नंबर 3 पर ट्रेन का इंतजार कर रहे थे। तभी 5-6 अनजान लोगों ने उन्हें घेर लिया, मोबाइल छीन लिया और जबरन प्लेटफॉर्म नंबर 4 की ओर ले गए।
जब अविनाश ने इसका विरोध किया तो उन्होंने धमकाते हुए पूछा कि “तेरे पास कितना पैसा है?” अविनाश ने बताया कि वह डर गया और कुछ समझ नहीं पाया। ट्रेन छूट गई और वे लोग उसे जबरन स्टेशन से बाहर ले गए। प्रशांत मोड़ के पास ठहरकर एक व्यक्ति ने फोन कर स्कॉर्पियो मंगाई जिसमें “पुलिस” का बोर्ड लगा था। जब अविनाश ने सवाल किया कि ये कौन लोग हैं, तो बताया गया कि उनके साथ बैजनाथपुर थानाध्यक्ष अमर ज्योति, मुकेश पासवान, रूपेश और अन्य लोग हैं।
**पुलिसिया दबंगई की हदें पार**
अविनाश को जबरन स्कॉर्पियो में बैठाकर बैजनाथपुर की ओर ले जाया गया। गाड़ी में लगातार गाली-गलौज और धमकियां दी जा रही थीं। आरोपियों ने उसे मुसहनियाँ, पथराहा की ओर ले जाकर धमकाया कि अगर एक लाख रुपये नहीं दिए तो उसके बैग में स्मैक और कफ सिरप डालकर जेल भेज दिया जाएगा।
**थाने में मारपीट और फिरौती की मांग**
थाना पहुंचने पर अविनाश को एक कमरे में बंद कर दिया गया और फिर बाहर निकाल कर बेरहमी से पीटा गया। मारपीट के बीच लगातार यह कहा जाता रहा कि घर से एक लाख रुपये मंगाओ, वरना नशे के केस में जेल भेज देंगे। किसी तरह चौकीदार के मोबाइल से उन्होंने घरवालों को सूचना दी। परिजनों के आने पर थानाध्यक्ष ने बताया कि यह “डीआईयू केस” है और इसमें डीआईयू सिपाही को भी हिस्सा देना होगा।
**79 हजार की जबरन वसूली, मोबाइल जब्त**
आवेदन के मुताबिक, अविनाश के पिता ने मेडिकल कॉलेज के पास थानाध्यक्ष को 29 हजार रुपये नकद दिए, वहीं दो अलग-अलग पेफोन नंबरों पर उनके दोस्त मोहम्मद सद्दाम ने 50 हजार रुपये ट्रांसफर किए। कुल 79 हजार की यह वसूली करने के बाद युवक को छोड़ा गया, लेकिन उसका मोबाइल जब्त कर लिया गया।
**जांच में आरोप सत्य पाए गए, थानाध्यक्ष लाइन हाजिर**
मामले की गंभीरता को देखते हुए सहरसा एसपी हिमांशु ने सदर एसडीपीओ आलोक कुमार को जांच का आदेश दिया। जांच में आरोप सही पाए जाने पर एसपी ने तत्कालीन थानाध्यक्ष अमर ज्योति को लाइन हाजिर कर दिया। इसके बाद गुरुवार को दंडाधिकारी की मौजूदगी में उनके सरकारी आवास की जांच की गई और उसे सील कर दिया गया।
**एफआईआर और आगे की कार्रवाई**
बैजनाथपुर थाना में ही अमर ज्योति के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी गई है। इसके अलावा अन्य पुलिसकर्मियों और कथित बिचौलियों पर भी प्राथमिकी दर्ज की गई है। इस मामले के अनुसंधान का जिम्मा सिमरी बख्तियारपुर के एसडीपीओ मुकेश कुमार ठाकुर को सौंपा गया है। एफआईआर में आपराधिक साजिश, जबरन वसूली, मारपीट, धमकी और आपराधिक विश्वासघात जैसी गंभीर धाराएं लगाई गई हैं।
**प्रशासन सख्त, आरोपी की भूमिका संदिग्ध**
पुलिस महकमे में इस घटना से खलबली मची हुई है। एक ओर जहां प्रशासन इस मामले को लेकर सख्त रुख अपनाए हुए है, वहीं दूसरी ओर यह सवाल भी उठ रहा है कि आखिर कैसे एक थानाध्यक्ष और पुलिसकर्मी संगठित होकर इस तरह की संगीन वारदात को अंजाम दे सकते हैं।
**न्याय की आस में पीड़ित परिवार**
पीड़ित युवक अविनाश और उनका परिवार अब न्याय की आस लगाए बैठे हैं। उन्होंने मांग की है कि दोषी पुलिसकर्मियों को बर्खास्त कर जेल भेजा जाए और उन्हें मानसिक व आर्थिक क्षतिपूर्ति दी जाए। इस घटना ने बिहार पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
**निष्कर्ष**
सहरसा की यह घटना न सिर्फ पुलिस विभाग की छवि को धूमिल करती है, बल्कि आम नागरिकों के भरोसे को भी तोड़ती है। ऐसे मामलों में समय रहते कड़ी कार्रवाई न की जाए तो यह कानून के प्रति आमजन के विश्वास को गहरी चोट पहुंचाता है। अब देखना यह होगा कि सहरसा प्रशासन इस मामले में कितना पारदर्शिता से काम करता है और दोषियों को कब तक सजा दिलाई जाती है।
