नाथनगर के दोगच्छी में मुख्यमंत्री महिला स्वरोजगार योजना पर उठे सवाल
ग्रामीण महिलाओं ने जीविका समूह पर अवैध वसूली का लगाया आरोप, जांच की मांग
भागलपुर। नाथनगर प्रखंड क्षेत्र के दोगच्छी गांव से एक गंभीर मामला सामने आया है। मुख्यमंत्री महिला स्वरोजगार योजना के तहत दी जा रही सरकारी सहायता राशि में अनियमितता और अवैध वसूली का आरोप लगाया गया है। ग्रामीण महिलाओं ने आरोप लगाया है कि जीविका समूह से जुड़ी सीएम नीतू कुमारी उनसे 200 से 300 रुपये की वसूली कर रही हैं। महिलाओं का कहना है कि पैसे देने के बावजूद भी उनका फॉर्म अब तक भरा नहीं गया है।
गांव की कई महिलाओं ने बताया कि मुख्यमंत्री महिला स्वरोजगार योजना का उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत करना है। इसके तहत जीविका समूह के माध्यम से पात्र महिलाओं को 10 हजार रुपये की सहायता राशि दी जाती है ताकि वे छोटे पैमाने पर व्यवसाय शुरू कर आत्मनिर्भर बन सकें। लेकिन इस योजना का लाभ सही रूप से उन तक नहीं पहुंच पा रहा है। आरोप है कि बीच में ही अवैध वसूली की जा रही है, जिससे महिलाओं को ठगा जा रहा है।
महिलाओं ने नाराजगी जताते हुए कहा कि गरीब और जरूरतमंद परिवारों के लिए यह योजना काफी सहायक हो सकती है। लेकिन अगर जीविका समूह के पदाधिकारी ही पैसे लेकर काम करेंगे, तो योजना का असली लाभ लोगों तक नहीं पहुंच पाएगा। उन्होंने कहा कि जब सरकार महिलाओं को मुफ्त में सहायता राशि उपलब्ध करा रही है तो उनसे वसूली का कोई औचित्य नहीं बनता।
स्थानीय महिलाओं ने यह भी आरोप लगाया कि वसूली के बाद भी फॉर्म समय पर नहीं भरे जा रहे हैं। इस कारण उन्हें योजना का लाभ मिलने में देरी हो रही है। ग्रामीणों ने बताया कि यह स्थिति केवल कुछ महिलाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि गांव की कई महिलाएं इस परेशानी का सामना कर रही हैं।
गांव की महिलाओं ने सामूहिक रूप से जिला प्रशासन से हस्तक्षेप करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यदि समय रहते जांच नहीं की गई और दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो यह समस्या और गंभीर हो जाएगी। महिलाओं ने प्रशासन से गुहार लगाई है कि योजना में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए और ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई हो जो गरीब महिलाओं के हक़ पर डाका डाल रहे हैं।
जानकारों का कहना है कि मुख्यमंत्री महिला स्वरोजगार योजना का मकसद महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ना है ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें। लेकिन योजना में इस तरह की अनियमितताओं की शिकायतें सामने आना चिंता का विषय है। यदि इसकी गंभीरता से जांच नहीं की गई तो ग्रामीण महिलाओं का भरोसा सरकारी योजनाओं से उठ सकता है।
ग्रामीण प्रतिनिधियों ने भी इस मामले पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि ऐसे मामलों से न केवल सरकार की छवि धूमिल होती है बल्कि ग्रामीण इलाकों में योजनाओं को लेकर गलत संदेश भी जाता है।
फिलहाल, ग्रामीण महिलाओं की मांग है कि जिला प्रशासन जल्द से जल्द मामले की जांच कर सच्चाई सामने लाए और दोषियों पर कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करे। साथ ही उन्हें आश्वस्त किया जाए कि भविष्य में इस प्रकार की अवैध वसूली नहीं होगी और योजना का लाभ पूरी पारदर्शिता के साथ सभी पात्र महिलाओं तक पहुंचेगा।
