भागलपुर के भीखनपुर स्थित नेत्रहीन विद्यालय के पास एक निजी अस्पताल में नवजात की मौत को लेकर भारी हंगामा हुआ। लाल चक निवासी प्रीतम कुमार अपनी गर्भवती पत्नी शिखा कुमारी को प्रसव के लिए डॉक्टर मनिका रानी के पास लेकर आए थे। डॉक्टर ने उन्हें पहले ही बताया था कि शिखा कुमारी का प्रसव 29 मई से 6 जून के बीच हो सकता है। लेकिन 20 मई की सुबह शिखा को अचानक गंभीर प्रसव पीड़ा शुरू हो गई।
प्रीतम कुमार के अनुसार, जैसे ही शिखा ने अस्पताल में बच्चे को जन्म दिया, नवजात की हालत बेहद नाजुक थी। उसका धड़कन बहुत धीमा था और कुछ ही देर में वह पूरी तरह बंद हो गया। नवजात की मौत की खबर मिलते ही परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा शुरू कर दिया। मौके पर मौजूद 4-5 लोगों ने डॉक्टरों के खिलाफ नारेबाजी की और अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया।
प्रीतम कुमार ने बताया कि जैसे ही उन्होंने डॉक्टर को बताया कि बच्चे की धड़कन नहीं चल रही है, डॉक्टर और अस्पताल स्टाफ वहां से भाग निकले। यहां तक कि सुरक्षा गार्ड भी मौके से गायब हो गया। उन्होंने कहा कि जब बच्चा मर चुका था, तब भी वह चाहते थे कि कम से कम उनकी पत्नी शिखा कुमारी की देखभाल ठीक से हो, लेकिन अस्पताल में कोई नहीं था। मजबूरन परिजनों को शोर मचाना पड़ा ताकि किसी तरह सहायता मिल सके।
हंगामे की सूचना मिलते ही इसाकचक थाना पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने दोनों पक्षों को समझा-बुझाकर मामला शांत कराया।
वहीं, अस्पताल की ओर से डॉक्टर निलेश कुमार ने सफाई देते हुए बताया कि शिखा कुमारी का प्रसव सामान्य रूप से हुआ था, लेकिन नवजात की हालत पहले से ही गंभीर थी। डॉक्टर के अनुसार, बच्चा पैदा होते ही उसकी धड़कन धीरे-धीरे रुक गई और उसे बचाया नहीं जा सका। उन्होंने कहा कि यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है और डॉक्टर कभी भी किसी मरीज के साथ जानबूझकर लापरवाही नहीं करता।
डॉक्टर निलेश ने आगे कहा कि हम इंसान हैं, डॉक्टर होने के नाते हम हर संभव प्रयास करते हैं कि मां और बच्चा दोनों सुरक्षित रहें, लेकिन कुछ स्थितियों में परिणाम हमारे हाथ में नहीं होते।
फिलहाल पुलिस ने दोनों पक्षों को शांत कराया है और स्थिति सामान्य हो चुकी है। अस्पताल प्रबंधन द्वारा घटना की जांच का आश्वासन दिया गया है। परिजनों की मांग है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो और यदि लापरवाही पाई जाती है तो दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
