जैसे ही मॉनसून की दस्तक हुई, गंगा नदी के जलस्तर में धीरे-धीरे वृद्धि होनी शुरू हो गई है। जलस्तर में इस बढ़ोतरी ने एक बार फिर तटवर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों की चिंता बढ़ा दी है। खासकर नवगछिया अनुमंडल के बुद्धचक गांव और उसके आसपास के क्षेत्र के लोग पिछले वर्ष की भयावह बाढ़ की यादों से अब तक उबर नहीं पाए हैं। ऐसे में फिर से गंगा की लहरों का उफान उनकी धड़कनें बढ़ा रहा है।
बुद्धचक गांव के समीप स्पर संख्या सात के डाउन स्ट्रीम क्षेत्र में मछली आदत तक का लगभग सौ मीटर लंबा इलाका काफी संवेदनशील स्थिति में पहुंच चुका है। पिछले वर्ष यहां पर जल संसाधन विभाग द्वारा बोल्डर क्रेटिंग का कार्य कराया गया था, लेकिन इस वर्ष यह कार्य काफी हद तक क्षतिग्रस्त हो चुका है। अब जब जलस्तर लगातार बढ़ रहा है, तो यह कमजोर सुरक्षा तंत्र वहां के लोगों के लिए खतरे की घंटी बन गया है।
स्थानीय वार्ड सदस्य छविलाल सिंह, आनंदी ठाकुर सहित कई ग्रामीणों ने चिंता जताते हुए बताया कि यदि जल संसाधन विभाग द्वारा समय रहते इस इलाके में सुरक्षात्मक कार्य जैसे बोल्डर क्रेटिंग या बंधा मरम्मती कार्य नहीं कराया गया, तो गंगा की धारा फिर से तटबंध को काटते हुए गांव में प्रवेश कर सकती है। ग्रामीणों का कहना है कि पिछले वर्ष जब तटबंध टूटा था, तब सैकड़ों लोग विस्थापित हो गए थे और हजारों एकड़ में लगी फसल बर्बाद हो गई थी।
ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द आपातकालीन स्तर पर फ्लड फाइटिंग कार्य शुरू किया जाए ताकि संभावित जलप्रलय को रोका जा सके। उनका कहना है कि यह कार्य न केवल बुद्धचक, बल्कि आसपास के दर्जनों गांवों को भी बचा सकता है।
बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल नवगछिया के कार्यपालक अभियंता ई. गौतम कुमार ने कहा कि जिला प्रशासन की ओर से पहले ही निरीक्षण किया जा चुका है। डीएम डॉ. नवल किशोर चौधरी ने संवेदनशील इलाकों को चिन्हित करते हुए तत्काल फ्लड फाइटिंग कार्य आरंभ करने का निर्देश दिया है। इंजीनियर गौतम कुमार ने बताया कि बाढ़ संघर्षात्मक बल के अध्यक्ष व अधीक्षण अभियंता से अनुमति प्राप्त कर, उक्त संवेदनशील स्थानों पर प्राथमिकता के आधार पर सुरक्षात्मक कार्य कराए जाएंगे।
उन्होंने यह भी बताया कि पिछले वर्ष बुद्धचक गांव के समीप स्पर संख्या सात और आठ के बीच तटबंध का लगभग 142 मीटर हिस्सा टूट गया था, जिससे बाढ़ की तबाही ने गांव की पूरी आबादी को झकझोर दिया था। इस बार विभाग पूरी तरह से सतर्क है और पहले से तैयारी की जा रही है ताकि दोबारा वैसी स्थिति उत्पन्न न हो।
फिलहाल, गांवों में भय का माहौल है। ग्रामीण प्रतिदिन गंगा के जलस्तर पर नजर रखे हुए हैं। महिलाएं व बुजुर्ग बाढ़ की आशंका से चिंतित हैं और बच्चों को ऊंचे स्थानों पर शिफ्ट करने की तैयारी में जुट गए हैं। प्रशासन और विभाग को त्वरित कार्रवाई कर स्थानीय निवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी।
यदि समय रहते सुरक्षात्मक कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले दिनों में गंगा की बाढ़ एक बार फिर बड़ी त्रासदी का रूप ले सकती है। ऐसे में प्रशासन, विभाग और आम नागरिकों को मिलकर इस संभावित आपदा से मुकाबले की तैयारी करनी होगी।
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